ज्ञानवापी मामला: आखिर क्या है ‘व्यासजी का तहखाना’, जहां हिंदूओं को मिली है पूजा की अनुमति

वाराणसी की एक जिला अदालत ने हाल ही में एक बड़ा फैसला सुनाया है जो ज्ञानवापी मस्जिद के तहखाने में पूजा के अधिकार को लेकर है। इस तहखाने को ‘व्यासजी का तहखाना’ कहा जाता है और अदालत ने एक पुजारी के परिवार को यहां हिंदू देवताओं की मूर्तियों की पूजा करने का अधिकार दिया है। अदालत ने जिला प्रशासन को निर्देश दिया है कि वे अगले सात दिनों में पूजा के लिए आवश्यक व्यवस्था करें।

ज्ञानवापी मामला: आखिर क्या है 'व्यासजी का तहखाना', जहां हिंदुओं को मिली है पूजा की अनुमति
ज्ञानवापी मामला: आखिर क्या है ‘व्यासजी का तहखाना’, जहां हिंदुओं को मिली है पूजा की अनुमति

व्यासजी का तहखाना क्या है?

व्यासजी का तहखाना, ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में दक्षिणी तरफ स्थित है। यहां व्यास परिवार का कब्जा है, जो वर्षों से इस जगह पर रहता आया है। यह तहखाना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां से हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां मिली हैं।

ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में मौजूद चार तहखानों में से एक है, व्यासजी का तहखाना मस्जिद के दक्षिणी भाग में स्थित है। यहाँ पुजारी सोमनाथ व्यास द्वारा 1993 तक पूजा-अर्चना की जाती थी। हालांकि, तत्कालीन सरकार के निर्देशों के आधार पर, अधिकारियों ने इस तहखाने को बंद कर दिया था, जिसके चलते व्यास परिवार को यहाँ पूजा करने से रोक दिया गया था।

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हिंदुओं को पूजा करने की क्यों मिली इजाजत

व्यासजी का तहखाना और इसके आस-पास के क्षेत्र की प्राचीनता और धार्मिक महत्व की पुष्टि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के सर्वेक्षणों से भी होती है, जिसमें यहाँ से हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां मिली हैं। इस बात का दावा किया जाता है कि यह स्थान भगवान नदी के विराजमान होने के स्थान के सामने स्थित है, जो इसे और भी अधिक महत्वपूर्ण बनाता है।

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पूजा करने का अधिकार मिलने से क्या-क्या बदल जाएगा

पूजा करने का अधिकार मिलने से वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद के परिसर में कई महत्वपूर्ण बदलाव आएंगे। सबसे पहले, नंदी महाराज के सामने लगाई गई बैरीकेडिंग को हटाकर रास्ता खोला जाएगा, जिससे लोगों के लिए व्यासजी के तहखाने में पूजा-अर्चना करना संभव हो जाएगा।

इस फैसले के साथ ही वाराणसी के जिला मजिस्ट्रेट/रिसीवर को यह निर्देश दिया गया है कि वे व्यासजी के तहखाने में पूजा की आवश्यक व्यवस्था करें। इसमें वादग्रस्त संपत्ति पर स्थित मूर्तियों की पूजा, राग-भोग शामिल है, जिसे वादी और काशी विश्वनाथ ट्रस्ट बोर्ड द्वारा नामित पुजारी द्वारा किया जाएगा। इस उद्देश्य के लिए, जिला प्रशासन को सात दिन के भीतर उचित प्रबंधन करने का निर्देश दिया गया है।

यह फैसला धार्मिक और सामाजिक रूप से विभिन्न पक्षों पर प्रभाव डालेगा। पूजा करने का अधिकार मिलने से, हिंदू समुदाय के लोगों में एक नई उम्मीद और आस्था का संचार होगा। इससे सांस्कृतिक और धार्मिक एकता के नए अध्याय की शुरुआत हो सकती है, साथ ही इससे संबंधित पक्षों के बीच वार्तालाप और समझौते की नई संभावनाएं भी उत्पन्न हो सकती हैं। यह फैसला हिंदू पक्ष के दावे को मजबूती देता है।

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हिंदू पक्ष ने लगाया ये आरोप

इससे पहले की गई एक याचिका में आरोप लगाया गया था कि मस्जिद समिति के लोग तहखाने में आते रहते हैं और वे इस पर कब्जा कर सकते हैं। इस आरोप को मस्जिद समिति के वकील ने निराधार बताया।

फैसले के बाद, हिंदू पक्ष काफी खुश है और इसे न्याय की जीत मान रहा है। वहीं, मुस्लिम पक्ष ने इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती देने का फैसला किया है। इस मामले की गहराई से जांच और चर्चा अभी भी जारी है, और इसके आगे के परिणाम पर सभी की नजरें टिकी हैं।

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