सबसे सच्चा धर्म कौन सा है ? Sacha Dharm Kon Sa Hai

जैसा कि आप सभी जानते है दुनिया में अलग-अलग धर्मों के लोग रहते है। दुनिया का हर व्यक्ति किसी न किसी धर्म से जुड़ा हुआ है। किसी भी मनुष्य का धर्म उसके जन्म होने के बाद से ही तय हो जाता है कि मनुष्य ने किस धर्म के परिवार में जन्म लिया है। हालाँकि विभिन्न प्रकार क धर्म होने के बावजूद कभी न कभी आपके मन में आता ही होगा आखिर सबसे सच्चा धर्म कौन सा है ? धर्म क्या है ? धर्म कितने प्रकार के होते है ? धर्म का सच्चा स्वरूप क्या है ? इन सभी के विषय में हम आपको विस्तारपूर्वक जानकारी देंगे। Sacha dharm kon sa hai से जुडी अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए इस लेख को ध्यानपूर्वक अंत तक पढ़िए –

Sacha dharm kon sa hai
सच्चा धर्म

धर्म क्या है ? (What is Religion Meaning)

जानकारी के लिए बता दें साधारण भाषा में धर्म के बहुत से अर्थ है जैसे – कर्तव्य, न्याय, सदाचरण, अहिंसा, सद्गुण आदि। धार्मिक शब्द का अर्थ है धारण करने योग्य। धर्म के बिना किसी आदिम समाज का कोई अस्तित्व नहीं है। सभी अशिक्षित या अविकसित समाजो को एक धर्म में जाना जाता है। धर्म दो जड़ो वाले लेटिन शब्द से मिलकर बना है पहली जड़ लेग है जो एक साथ निरीक्षण को दर्शाती है और दूसरी जड़ लीग है जो बाँधने के लिए दर्शाती है। धर्म विभिन्न प्रकार के होते है। सभी धर्म (Sacha Dharm) यही सिखाते है मनुष्य को मिल-जुलकर प्रेम पूर्वक रहना चाहिए।

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आपको जरूरतमदों और जीवों की रक्षा करनी चाहिए। धर्म ने हजारों वर्ष से मनुष्य जाति को नको चने चबाये है। करोड़ो नर नाहरो का गर्म रक्त इसने पिया है, हजारो कुल बालाओ को इसने ज़िंदा भस्म किया है। असंख्य पुरुषो को इसने ज़िंदा से मुर्दा बना दिया है। यह धर्म पृथ्वी की मानव जाति का नाश करेगा या उद्धार -आज इस बात पर विचार करने का समय आ गया है –

धर्म ही के कारण राम ने राज्य को त्यागकर वनवास लिया। धर्म ही के कारण दशरथ ने राम को वनवास दिया। धर्म ही के कारण राम ने सीता को त्यागा। शूद्र तपस्वी को मारा, विभीषण को राज्य दिया। यह सब मात्र धर्म के कारण ही हुआ।

धर्म ही के कारण राजपूतो ने अपने सर कटवाए और उनकी स्त्रियों ने अपने स्वर्ण शरीर भस्म किये, रक्त की नदी बही। धर्म ही के कारण शंकर और कुमारिल ने दयानन्द और चैतन्य ने कठोर जीवन व्यतीत किये। इतना सब कुछ सिर्फ धर्म के कारण ही घटित हुआ।

आज धर्म के लिए सिपाही युद्ध क्षेत्र में सन्मुख के मनुष्य को मारता है, धर्म ही के कारण वेश्याएं अपनी अस्मत बेचती है, धर्म ही के कारण कसाई पशु का वध करता है। और मात्र धर्म ही के कारण जीवहत्या करके मंदिरो में बलि दी जाती है।

मैं जानना चाहता हूँ/चाहती हूँ कि सम्पूर्ण पृथ्वी में हजारों वर्ष से ऐसे उत्पात मचाने वाला, यहाँ महानायक धर्म क्या वस्तु है ? यह मनुष्य को मनुष्य से क्यों नहीं मिलने देता है ? यह मनुष्य को शान्ति से क्यों नहीं रहने देता है ? मनुष्य को आजाद क्यों नहीं होने देता है ? धर्म ने शौतन की तरह दिमाग को गुलाम बना लिया है। जो मनुष्य जिसके रंग में रंग गया, वः उस के विरूद्ध नहीं सोच सकता – प्राण दे सकता है। यह सब कुछ इस प्रबल शक्ति धर्म की करामात है। वैश्या समझती है, कसब करना ही हमारा धर्म है , शादी करके गृहस्थी संभालना नहीं। अछूत समझता है औरों का मैला ढोना ही हमारा धर्म है, उत्तम वस्त्र पहनकर उच्चासन पर बैठना नहीं।

मानवता सबसे बड़ा सच्चा धर्म है ?

जैसा कि आप सभी जानते है भारत देश में विभिन्न धर्मो के लोग रहते है। सभी व्यक्ति अपने अपने धर्म को सर्वश्रेष्ठ मानते है। ऐसे में किसी धर्म को कम या ज्यादा नहीं कहा जा सकता है। सभी धर्मो में कहा गया है मानवता ही जनकल्याण का सबसे बड़ा सच्चा धर्म है। यह सच है कि मानवता की सेवा करना ही सबसे सच्चा धर्म (Sacha Dharm) है। जो व्यक्ति शिव की पूजा करना चाहते है वे पहले शिव की संतानों- सभी जीवों की उपासना करनी चाहिए।

शास्त्रों में स्पष्ट रूप से कहा गया है जो व्यक्ति जीवों की सेवा करते है वे ही भगवान के सबसे बड़े सेवक है। स्वार्थहीनता ही धर्म की कसौटी है। जो मानवता की सेवा लाभ की अपेक्षा किये बिना करते है, वे ईश्वर के अधिक निकट होते है। स्वार्थी व्यक्ति तो सेवा में भी लाभ देखते है। विभिन्न तीर्थो की सेवा करने से अच्छा है मानव किसी दुःखी पीड़ित मानव की सेवा करें। ईश्वर ऐसे व्यक्तियों के सबसे अधिक निकट होते है। जो भगवान को दीन-हीन दुर्लभ में और रोगो में देखता है, वही वास्तव में ईश्वर की उपासना करते है।

धर्म का सच्चा स्वरुप क्या है ?

धर्म वह वस्तु है जिसकी रक्षा करने से हमारी रक्षा होती है। धर्मे रक्षति रक्षितः का सिद्धांत सत्य है। मनुष्य बड़ा स्वार्थी जीव है, उसने हर दिशा में पहले यह देखा है कि इस कार्य को करने से मुझे कितना लाभ मिलेगा, उसके बाद ही उस कार्य को आरम्भ किया है। मनुष्य गाय, भैंस, बकरी आदि जीवों की रक्षा करते है , क्योंकि इसके बदले में वे मनुष्य की रक्षा, तंदुरुस्ती करते है और संपत्ति की बढ़ाते है। इसके अलावा, मगरमच्छ, भेड़िया, हाथी आदि को पालन नहीं किया जाता है क्योंकि इनको पालने से मनुष्य की रखा नहीं होती है। जिस कार्य मनुष्य को अच्छे प्रतिफल की आशा नहीं होती, उस कार्य को करने में मनुष्य को कोई दिलचस्पी नहीं होती है।

धर्म के प्रकार (Types of Religion)

यहाँ हम आपको नीचे दिए गए कुछ पॉइंट्स के माध्यम से धर्म (Sacha Dharm) के प्रकार के बारे में बताने जा रहें है। आप नीचे दिए गए पॉइंट्स के माध्यम से जानकारी प्राप्त कर सकते है। धर्म के प्रकार निम्न प्रकार है –

  • हिन्दू धर्म (Hindu Religion)
  • बौद्ध धर्म (Buddhism)
  • ईसाई धर्म (Christianity)
  • सिख धर्म (Sikhism)
  • इस्लाम धर्म (Islam religion)
  • जैन धर्म (Jainism)

सभी धर्मो की संक्षिप्त कुछ सामान्य जानकारी

क्या आप सभी धर्मों के बारे में सामान्य जानकारी रखते है। अगर आपको किसी धर्म के बारे में जानकारी नहीं है तो यहाँ हम आपको सभी धर्मों के बारे में कुछ सामान्य जानकारी संक्षिप्त में बताने जा रहें है। इन जानकारियों को पढ़कर आप ज्ञान प्राप्त कर सकते है। ये जानकारी निम्न प्रकार है –

हिन्दू धर्म (Hindu Religion)

हिन्दू धर्म को मानने वाले दुनिया के अलग-अलग भागो में निवास करते है जैसे – भारत, नेपाल, मॉरिशियस, सूरीनाम, फिजी आदि। हिन्दू धर्म को सबसे प्राचीनतम धर्म माना जाता है। हिन्दू धर्म को वैदिक सनातन वर्णाश्रम धर्म के नाम से भी जाना जाता है। इसका अर्थ है हिन्दू धर्म की उत्पत्ति मानव की उत्पत्ति से भी पहले से है। विद्वानों का मानना है धर्म अलग-अलग संस्कृतियों और परम्पराओ का मिश्रण है। हिन्दू धर्म का कोई संस्थापक नहीं है। यह धर्म अपने अंदर अलग-अलग उपासना पद्धतियां, मत, सम्प्रदाय, दर्शन समेटे हुए है।

संख्या के आधार पर विश्व का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है। भारत देश में एक बड़ी संख्या में हिन्दू धर्म के उपासक रहते है। अगर प्रतिशत के आधार पर देखा जाएँ नेपाल में अधिक संख्या में हिन्दू धर्म के लोग निवास करते है। इस धर्म में देवी-देवताओ की उपासना की जाती है। इसे सनातन धर्म या वैदिक धर्म भी कहा जाता है।

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बौद्ध धर्म (Buddhism)

बौद्ध धर्म की स्थापना गौतम बुध द्वारा की गई थी। उनका जन्म 573 ई० पू० नेपाल की तराई में स्थित कपिल वस्तु के निकट लुम्बिनी नामक ग्राम में हुआ था। वे शाक्य क्षत्रिय कुल के थे। उनका जन्म कुनील परिवार में हुआ था। इनके बचपन का नाम सिद्धार्थ था। इनकी पत्नी का नाम यशोधरा था पुत्र का नाम राहुल था। भोग-विलास तथा मोह माया के जाल को त्याग कर सिद्धार्थ ने बौद्ध धर्म की नीव रखी। जिस स्थान पर उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई उसे बौद्ध कहा जाता है। बौद्ध धर्म के तीन सिद्धांत है – दुःख, दुःख समुदाय, दुःख निरोध

सिख धर्म (Sikhism)

सिख धर्म की स्थापना 500 साल पहले गुरु नानक देव के द्वारा की गई थी। सिख धर्म में गुरु शब्द की एक विशिष्ट परिभाषा; गुरु शब्द का मतलब उन दस प्रबुद्ध जिन्होंने मानव जाति के मार्गदर्शन और कल्याण के लिए अवतरण लिया हो। सिख धर्म ना ही सनातन हिन्दू धर्म से बना है और न ही हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए बना है। सिख धर्म का प्रमुख ग्रन्थ गुरु ग्रन्थ साहिब है। सिख धर्म का पूजनीय प्रसिद्ध स्थल गोल्डन टेम्पल अमृतसर में है।

इस्लाम धर्म (Islam religion)

इस्लाम धर्म के प्रवर्त्तक हजरत मौहम्मद साहब थे। जिनका जन्म 570 ई ० में अरब (मक्का) में हुआ था। कुरआन में उन्हें मौहम्मद और अहमद नामो से पुकारा गया है। बचपन से ही मौहम्मद साहब चिंतनशील, विचारशील एवं कार्मिक प्रवृति के थे। उनका विवाह खदीजा नामक विधवा के साथ हुआ था। कबीले के लोग उन्हें ‘अल अमीन’ के नाम से पुकारते थे। मौहम्मद साहब के पिता का नाम अब्दुलाह और माता का नाम अमीना था।

ईसाई धर्म (Christianity)

ईसाई धर्म एक लोकप्रिय धर्म है। ईसाई धर्म के संस्थापक प्रभु यीशु या ईसा मसीह थे। शिक्षाओं के यीशु को बाइबल में संकलित और वर्णित किया गया है। सभी ईसाई इसका पालन करते है। ईसाई धर्म में कुछ महत्वपूर्ण प्रथाओं में बपतिस्मा विवाह संस्कार, स्वीकरोक्ति और धार्मिक शिक्षा शामिल है। आधुनिक और ईसाई संस्कृति एक दूसरे के समान है। बाइबल को अब तक के सबसे प्राचीन और सटीक शास्त्रों में से एक माना जाता है।

ट्रिनिटी नामक एक सिद्धांत का भी नाम है जो उसके कुछ हिस्सों को संदर्भित करता है कि ईश्वर की तीन श्रेणियों में है जो ईश्वर, ईश्वर का पुत्र और पवित्र आत्मा है। ईसाई धर्म को दुनिया को सबसे बड़ा धर्म माना जाता है। पहले का निर्माण यीशु की मृत्यु के 50 के बाद किया गया था।

जैन धर्म (Jainism)

जैन धर्म में अहिंसा को परम धर्म माना जाता है। जैन ग्रंथो के अनुसार इस काल में प्रथम तीर्थकर ऋषभदेव थे। महावीर जैन धर्म के 24 वें तीर्थकर थे। जैन धर्म को दो सम्प्रदायों में बांटा गया है – श्वेतांबर और दिगंबर। जैन धर्म के लोग अपने जीवन में धर्म को अधिक महत्व देते है और बहुत ही सरल व साधारण जीवन जीते है। जैन धर्म क्र अनुयायियों का मानना है कि मोक्ष तब प्राप्त होता है जब मनुष्य कर्म के बंधन से पूर्णतया मुक्त हो जाता है।

Sacha Dharm Kon Sa Hai से सम्बंधित कुछ प्रश्न/उत्तर

Sacha dharm kon sa hai ?

मानवता ही सच्चा धर्म है।

इस्लाम धर्म के संस्थापक कौन थे ?

पैगम्बर हजरत मोहम्मद इस्लाम धर्म के संस्थापक थे।

ईसाई धर्म की संस्थापक कौन थे ?

ईसाई धर्म के संस्थापक प्रभु यीशु या ईसा मसीह थे।

जैन धर्म के 24वें तीर्थकर कौन थे ?

जैन धर्म के 24वें तीर्थकर महावीर थे।

ऋषभदेव कौन थे ?

ऋषभदेव जैन धर्म के प्रथम तीर्थकर थे।

सिख धर्म के संस्थापक कौन थे ?

सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव थे।

जैसे कि इस लेख में हमने आपसे Sacha dharm kon sa hai ? इससे सम्बंधित समस्त जानकारी प्रदान की है। अगर आपको और अधिक जानकारी चाहिए या हमारे द्वारा दी गई जानकारी में आपको कोई आशंका है या आप समझ नहीं पा रहें है तो आप नीचे दिए गए कमेंट सेक्शन में जाकर मैसेज करके पूछ सकते है। आपके सभी प्रश्नो के उत्तर अवश्य दिया जाएगा। आशा करते है आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारी से सहायता मिलेगी।

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