जानिए कैसा है भारत में बना दुनिया का सबसे ऊंचा चिनाब रेल ब्रिज, जानिए इसकी ख़ासियत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में 20 फ़रवरी 2024, मंगलवार को जम्मू में दुनिया के सबसे ऊंचे रेल ब्रिज, चिनाब रेल ब्रिज का उद्घाटन किया। यह ब्रिज, जिसकी नदी तल से ऊंचाई 359 मीटर है, न सिर्फ इंजीनियरिंग का एक अजूबा है बल्कि यह अगले 120 सालों तक सेवाएं प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है।

जानिए कैसा है भारत में बना दुनिया का सबसे ऊंचा चिनाब रेल ब्रिज, जानिए इसकी ख़ासियत
जानिए कैसा है भारत में बना दुनिया का सबसे ऊंचा चिनाब रेल ब्रिज, जानिए इसकी ख़ासियत

पड़ोसी देशों की चिंता बढ़ी

Chenab Railway Bridge ने पाकिस्तान और चीन की नींद उड़ा दी है। यह पुल कश्मीर घाटी को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यह पुल कटरा से बनिहाल तक 111 किलोमीटर की दूरी में एक महत्वपूर्ण लिंक होगा। यह पुल उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेलवे लिंक परियोजना का हिस्सा है, जिससे न केवल आम आवाजाही में सुविधा होगी बल्कि भारतीय सेना को भी समान लाभ मिलेगा। इसकी एरियल दूरी पाकिस्तान सीमा से मात्र 65 किलोमीटर है।

ब्रिज की खासियतें

चिनाब रेल ब्रिज (Chenab Railway Bridge) दुनिया का सबसे ऊंचा रेल पुल है, जो जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में चिनाब नदी पर बना है। यह पुल 1315 मीटर लंबा और 359 मीटर ऊंचा है, जो इसे एफिल टॉवर से भी 35 मीटर ऊंचा बनाता है। यह पुल 8 साल में बनकर तैयार हुआ है और 14,800 करोड़ रुपये की लागत आई है।

यह स्टील आर्च ब्रिज ब्लास्ट प्रूफ तकनीक पर आधारित है और घाटी में हाई स्पीड ट्रेनों के संचालन को संभव बनाता है। इसे दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल होने का गौरव प्राप्त है। इस पुल का निर्माण न सिर्फ भारतीय इंजीनियरिंग की क्षमता को दर्शाता है बल्कि यह भारत की सामरिक और आर्थिक संभावनाओं को भी मजबूत करता है।

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120 सालों तक सेवा के लिए नया डिज़ाइन किया गया पुल

यह पुल दुनिया का सबसे ऊंचा रेल पुल है, लेकिन यह चीन के शुईपई नदी पर बने पुल से ऊंचाई के मामले में दूसरे स्थान पर है। शुईपई नदी पर बना पुल 275 मीटर ऊंचा है, लेकिन Chenab Railway Bridge नदी तल से ऊंचाई के मामले में पहले स्थान पर है। इस पुल को 120 सालों तक टिकने के लिए डिज़ाइन किया गया पुल नदी के 359 मीटर ऊंचाई पर खड़ा है और कुल लंबाई में 1315 मीटर तक फैलता है। 530 मीटर स्थल पर और बाकी 785 मीटर चेनब घाटी के ऊपर, यह संरचना पेरिस के एफिल टावर की ऊंचाई से 35 मीटर अधिक है।

क्षेत्र V भूकंपों के लिए तैयार

शुईपाई नदी पर 275 मीटर की ऊंचाई पर बने हुए इस पुल की विशेषता उसकी ऊंचाई में है, जो ब्लास्ट प्रूफ और भूकंपरोधी है। इसे इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह 8 तीव्रता के भूकंप का भी सामना कर सके। पुल में 18 खंभे हैं, जिनमें से सबसे ऊंचा खंभा 133 मीटर ऊंचा है। पुल का निर्माण 6.5 लाख क्यूबिक मीटर कंक्रीट और 25,000 टन स्टील का उपयोग करके किया गया है। इसके अलावा ये पुल 467 मीटर के मुख्य आर्च स्पैन के साथ भारत का सबसे लंबा आर्च पुल है।

हवा का भी कोई असर नहीं होगा

कश्मीर घाटी में चलने वाली मजबूत हवाओं को ध्यान में रखते हुए, पुल को 266 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ़्तार वाली हवा को सहने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यहां दो रेलगाड़ियों के लिए रास्ता है, जो अव्यवस्थित रुकावट के बिना ट्रेनों को पार करने की सुविधा प्रदान करते हैं।

यह आधुनिक इंजीनियरिंग की शानदार मिसाल है, जो अवसान करते समय पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना करती है। यह न केवल रेलवे कनेक्टिविटी को सुगम बनाने में मदद करता है बल्कि भूवैज्ञानिक चुनौतियों के सामने मानव बुद्धिमत्ता का प्रतीक भी है। यह पुल भारत के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है और यह देश के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में मदद करेगा।

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