मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का इतिहास | Mehandipur Balaji Temple History in Hindi

आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का इतिहास हिंदी में बताने जा रहें हैं। दोस्तों आपने मेहंदीपुर बालाजी धाम का नाम तो सुना ही होगा। ऐसा माना जाता है ऐसा व्यक्ति जिनको किसी भी प्रकार की कोई भी बिमारी या भूत-प्रेत आदि की कोई समस्या होती है ऐसे व्यक्ति अगर मेहंदीपुर बालाजी की दर्शन करने जाते है तो वे वहां से ठीक होकर ही वापस लौटते हैं।

आगे दी गई जानकारी में हम आपको बतायेंगे मेहंदीपुर बालाजी मंदिर कहाँ हैं ? मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का इतिहास क्या है ? इन सभी के विषय में हम आपको विस्तारपूर्वक जानकारी देंगे। Mehandipur Balaji Temple History in Hindi सम्बंधित अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए इस लेख को ध्यानपूर्वक अंत तक पढ़िए –

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का इतिहास
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का इतिहास

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर

राजस्थान के दौसा की दो पहाड़ियों के बीच मेहंदीपुर बालाजी (हनुमानजी का एक और नाम) का मंदिर स्थित है। यह मंदिर अपने रहस्यों और विचित्र नज़ारों की वजह से एक बानगी भक्तों को हैरत में डाल देता है. लेकिन फिर प्रभुकृपा को देखकर भक्त उन्हें नमन कर गदगद हो उठते हैं। मान्यता है कि यहां आने से भूत-पिशाच भी कांपते है. इस मंदिर में खासतौर पर ऊपरी बाधाओं से पीड़तों को लेकर आया जाता है, हनुमानजी के चरणों में पहुंचने के बाद व्यक्ति पूर्ण रुप से स्वस्थ्य होकर घर लौटता है।

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का इतिहास

मेहंदीपुर बालाजी का इतिहास आज से 1000 साल से भी पुराना है। पहले बालाजी मंदिर के स्थान पर घना जंगल हुआ करता था। चारो तरह घनी झाड़ियों में जंगली जानवरों का बसेरा हुआ करता था। श्री महंत जी के पूर्वजों को सपना आया और सपने की अवस्था में ही वे उठकर चल दिए और चलते-चलते इन घने जंगल के इन दो पहाड़ियों के बीच पहुँच गए। इसी दौरान उन्होंने एक विचित्र लीला देखी – एक ओर से हजारों दीपक जलते हुए चले आ रहे थे, हाथी घोड़ो की आवाजें आ रही थी और एक बड़ी फ़ौज चली आ रही थी।

उस फ़ौज ने श्री बालाजी महाराज की मूर्ति की तीन बार गोल-गोल घूमकर श्री बाला जी महाराज को सिर झुकाकर प्रणाम किया और फ़ौज के प्रधान ने नीचे उतरकर श्री बालाजी महाराज को दंडवत प्रणाम किया तथा कि जिस रास्ते से वह आये थे उसी रास्ते से वह सभी वापस चले गए। गौसाई जी महाराज यह सब देखते ही रह गए।

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उन्हें कुछ डर सा लगा और वह भागते हुए वापस अपने गाँव लौट आये। डरी हुई अवस्था में घर पहुँच कर वे सोने चले गए किन्तु उनको नींद नहीं आयी। बार-बार उसी विषय पर विचार करते हुए उनकी जैसे ही आँख लगी, उन्हें सपने में तीन मूर्तियाँ दिखाई दी। उनके कानो में यह आवाज आई उठो मेरी सेवा का भार ग्रहण करो, मैं अपनी लीलाओं का विस्तार करूँगा। यह बात कौन कह रहा था कोई दिखाई नहीं दे रहा था। गोसाई जी ने इस बात को सपना समझकर उन्होंने इस बात पर ध्यान नहीं दिया।

कुछ दिनों के बाद हनुमान जी महाराज ने उन्हें स्वयं दर्शन दिए और पूजा का आग्रह किया। दूसरे दिन गोसाई जी महाराज सपने के अनुसार उस घोर जंगल को पार करते हुए उस मूर्ति के पास पहुँचे तो उन्होंने देखा कि चारों और से घंटा घड़ियाल और नगाड़ों की आवाज आ रही है किन्तु दिखाई कुछ नहीं दिया। इसके बाद श्री गोसाई जी ने वहां के आस-पास के लोगो को एकत्रित किया और सारी बात बता डाली।

यह सुनकर लोगो ने गोसाई जी का साथ देने का वादा किया और वहां पर साफ़-सफाई का कार्य चालू कर दिया गया। सब लोगो के साथ मिलकर वहाँ पर बालाजी की एक छोटी सी तिवारी बना दी गई। फिर वहाँ पर पूजा-अर्चना होने लगी। तो इस प्रकार बालाजी महाराज राजस्थान के दौसा में विराजमान हुए।

मेहंदीपुर बालाजी जाते समय ध्यान रखने योग्य बातें

यहाँ हम आपको बतायेंगे आपको मेहंदीपुर बालाजी पहुंचकर किन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए। इन बातों के विषय में जानने के लिए आप नीचे दिए गए पॉइंट्स को पढ़ सकते हैं। ये पॉइंट्स निम्न प्रकार हैं –

  • मेहंदीपुर बालाजी पहुंचकर आप किसी धर्मशाला में ठहरे और वहां पर थोड़ा आराम करके नहाने के बाद शुद्ध वस्त्र पहनकर बालाजी की भवन में प्रवेश करें।
  • भवन में प्रवेश करते समय अगर आपके पास चमड़े से बनी कोई भी चीज है जैसे – बेल्ट, पर्स आदि। तो आप इन चीजों को अंदर लेकर न जाएँ।
  • अंदर प्रवेश करने के बाद आपको बालाजी महाराज से अपने आने की दरखास्त लगानी चाहिए। दरखास्त लगाने के लिए आपको अपने हाथ में 10 या 5 रूपये (जितनी भी आपकी इच्छा हो) लेकर कहना चाहिए हे बालाजी महाराज ! हम आपके घाटे में आ चुके हैं। आप हमारी दरखास्त स्वीकार करें। आप हमारी रक्षा करें और हम पर अपनी कृपा बनाये रखें। इतना कहने के बाद आप दान पात्र में रूपये डाल दें।
  • इसके बाद आपको अर्जी का भोग लेना चाहिए। नए नियम के अनुसार अर्जी के भोग में दुकानदार आपको लड्डू और कुछ बताशे देगा। मंदिर में जाकर सबसे पहले आपको श्री बालाजी महाराज को लगाना चाहिए और फिर श्री भैरव जी कोतवाल जी को और उसके बाद आपको श्री प्रेतराज सरकार को भोग लगाना चाहिए। तभी आपका अर्जी का भोग सम्पूर्ण होगा। इसके बाद आपको भोग में से दो लड्डू निकाल लेने हैं और बाकी के लड्डू आप या तो गाय को दे दें या फिर किसी को बाँट दें। जो अपने दो लड्डू निकालें है वे आपको पीड़ित व्यक्ति को खिला देने हैं।

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Mehandipur Balaji Temple History in Hindi सम्बंधित प्रश्न और उत्तर

मेहंदीपुर बालाजी का मंदिर कहाँ स्थित है ?

मेहंदीपुर बाला जी का मंदिर राजस्थान राज्य के दौसा में दो पहाड़ियों के बीच स्थित है।

मेहंदीपुर बालाजी में किन देवो की प्रधानता हैं ?

जानकारी के लिए बता दें मेहंदीपुर बालाजी में तीन देवो की प्रधानता है -श्री बालाजी महाराज, श्री प्रेतराज सरकार और श्री भैरव कोतवाल।

क्या यह सत्य है कि बालाजी का प्रसाद घर नहीं ला सकते है ?

जी हाँ, यह बात बिल्कुल सत्य है कि आप बालाजी का प्रसाद घर नहीं ला सकते है। वहां पर चढ़ाये जाने वाला प्रसाद को अर्जी का भोग कहा जाता है जिसका भोग श्री बालाजी महाराज, श्री प्रेतराज सरकार और श्री भैरव कोतवाल जी को लगाने के बाद उसमें से दो लड्डू पीड़ित व्यक्ति के लिए निकालकर बाली या तो किसी को बाँट दिया जाता है या गाय को खिला दिया जाता है।

मेहंदीपुर बालाजी में किस देवता की पूजा होती है ?

मेहंदीपुर बालाजी में श्री हनुमान जी की पूजा होती है।

जैसे कि इस लेख में हमने आप से मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का इतिहास और बाला जी मंदिर से सम्बंधित अनेक जानकारी साझा की है। अगर आपको इन जानकारियों के अलावा अन्य कोई भी जानकारी चाहिए तो आप नीचे दी गए कमेंट सेक्शन में जाकर मैसेज करके पूछ सकते हैं। हमारी टीम द्वारा आपके सभी प्रश्नो के उत्तर अवश्य दिए जाएंगे। आशा करते हैं आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारी से सहायता मिलेगी।

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