कच्छ में सोने की खोज शुरू की लेकिन हाथ आ गया एक कीमती खजाना

Ancient Civilization: यह कहानी वाकई रोमांचक है! कच्छ में सोने की खोज में खुदाई करते हुए एक प्राचीन सभ्यता का मिलना एक अद्भुत घटना है। यह दिखाता है कि जिंदगी कभी-कभी हमें वहां ले जाती है जहां हमने सोचा भी नहीं था। यह बताता है कि सपनों की पुष्टि करने के लिए संघर्ष करना और प्रयास करना कितना महत्वपूर्ण है।

Ancient Civilization in Kacch

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हड़प्पा युग की गढ़वाली बस्ती

सोने की तलाश में शुरु हुई खुदाई में हड़प्पा युग की गढ़वाली बस्ती का मिलना एक अद्भुत घटना है। सोने की तलाश में खुदाई करते हुए कुछ ऐतिहासिक अवशेष मिले। पुरातत्वविदों को सूचना दी गई और उन्होंने खुदाई शुरू की।

यह खोज भारतीय इतिहास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह हड़प्पा युग के बारे में हमारी समझ को बढ़ाने में मदद करेगा। यह खोज पर्यटन को बढ़ावा देने और स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने में भी मदद कर सकती है।

वास्तुकला की जानकारी मिली

यह खोज प्रमुख पुरातत्वविद् अजय यादव के दृष्टिकोण को और उनके काम के महत्व को प्रकट करता है। उनका साथी प्रोफेसर डेमियन रॉबिन्सन के साथ काम करने का उल्लेख भी इसके आधारिकता को बढ़ाता है। यह निश्चित रूप से एक महत्वपूर्ण खोज है और यह हड़प्पा युग के बारे में हमारी समझ को बढ़ाने में मदद करेगा।

नए स्थल पर वास्तुकला का विवरण धोलावीरा से काफी मिलता-जुलता है। इस स्थल को पहले एक बड़ी पत्थर-पराली बस्ती के रूप में खारिज कर दिया गया था। ग्रामीणों का मानना था कि वहां एक मध्ययुगीन किला और खजाना दफन है। पता चला कि यह एक हड़प्पा बस्ती है जहाँ लगभग 4,500 साल पहले जीवन रहा था।

मोरोधारो: हड़प्पा युग की एक नई बस्ती

गुजरात के कच्छ में हड़प्पा युग की एक नई बस्ती है जोकि जनवरी 2024 में औपचारिक रूप से पहचानी गई। इसका नाम कच्छ के एक प्रसिद्ध लोक गीत “मोरो” के नाम पर रखा गया है। अजय कहते है कि इस स्थल से बड़ी मात्रा में हड़प्पा के मिट्टी के बर्तन मिले हैं जो धोलावीरा में पाए गए थे। यह बस्ती परिपक्व (2,600-1,900 ईसा पूर्व) से लेकर देर से (1,900-1,300 ईसा पूर्व) हड़प्पा तक दिखती है।

मोरोधारो और धोलावीरा का समुद्र से संबंध

प्रमुख पुरातत्वविद् का कहना है कि मोरोधारो और धोलावीरा दोनों समुद्र पर निर्भर थे। यह इस क्षेत्र के प्राचीन इतिहास को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। यह हमें हड़प्पा सभ्यता के जीवन और संस्कृति के बारे में अधिक जानकारी दे सकता है। हड़प्पा युग की बस्तियों को उनकी विशिष्ट शहरी नियोजन, जल निकासी प्रणाली और लेखन प्रणाली के लिए जाना जाता है।

1960 से दावे होने लगे थे

दावे के बाद 1967-68 में जे पी जोशी द्वारा सर्वेक्षण की शुरुआत की गई। 1989 और 2005 के बीच धोलावीरा खुदाई के दौरान विशेषज्ञों का दौरा होता रहा। लेकिन अब 2023 में स्थानीय लोगों द्वारा खजाने की खोज शुरू की है। अगर यहाँ की एक छोटी सी बस्ती के लोगो द्वारा खजाने की खोज शुरू न होती तो देश के टिटिहास का के अहम टुकड़ा दफन ही रहता।

पुरातत्वविद इस प्राचीन सभ्यता के बारे में अधिक जानने के लिए खुदाई जारी रखेंगे। इस खोज से भारतीय इतिहास और संस्कृति के बारे में कई नई जानकारी मिलने की उम्मीद है।

टॉपिक: Ancient Civilization, हड़प्पा युग की गढ़वाली बस्ती, कच्छ में हड़प्पा सभ्यता

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