तलाक के बाद पति ने वापस मांगी किडनी, पत्नी से कहा- पैसा भी लौटाओ, जाने अनोखा मामला

An unusual divorce case: एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है जिसमें तलाक के बाद पति ने अपनी पत्नी से किडनी वापस मांगी है। पति का कहना है कि उसने अपनी पत्नी को किडनी दान में दी थी, लेकिन अब वह तलाक के बाद उसे वापस चाहता है। पति ने पत्नी को नोटिस भी भेजा है और कहा है कि अगर वह किडनी वापस नहीं देती है तो उसे पैसे लौटाने होंगे।

तलाक के बाद पति ने वापस मांगी किडनी, पत्नी से कहा- पैसा भी लौटाओ, जाने अनोखा मामला
तलाक के बाद पति ने वापस मांगी किडनी, पत्नी से कहा- पैसा भी लौटाओ, जाने अनोखा मामला

क्या था मामला ?

यह मामला अमेरिका का है। 2009 में डॉ. रिचर्ड बतिस्ता ने अपनी पत्नी डॉनेल को किडनी दान में दी थी। डॉनेल की दोनों किडनी खराब हो गई थीं और उन्हें किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत थी। डॉ. बतिस्ता ने अपनी पत्नी को किडनी दान कर उसकी जान बचाई।

लेकिन कुछ समय बाद जब तलाक़ की बात आयी तो बतिस्ता ने अपनी पत्नी से एक असाधारण मांग की, वह उसकी किडनी वापस कर दें या फिर उसके बदले 1.2 मिलियन पाउंड (लगभग 12 करोड़ रुपये) दें। उन्होंने कहा कि उन्होंने अपनी पत्नी को किडनी दान करने के लिए पैसे उधार लिए थे और अब वह उन पैसों को वापस चाहता है।

डॉनेल(पत्नी) का क्या कहना है ?

डॉनेल ने कहा है कि वह अपने पति की मांगों को पूरा नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि किडनी दान एक उपहार था और वह इसे वापस नहीं ले सकती। उन्होंने कहा कि उनके पति की मांगें “अनुचित” और “अनैतिक” हैं।

क्या राय है मेडिकल एक्सपर्ट्स की ?

मेडिकल विशेषज्ञों ने बताया कि किडनी को वापस करना व्यावहारिक नहीं है, क्योंकि इसके लिए डॉनेल को दोबारा ऑपरेशन की आवश्यकता होगी, जिससे उनकी जान को खतरा हो सकता है। एक्सपर्ट्स ने यह भी कहा कि अब वह किडनी डॉनेल की हो गई है क्योंकि यह उसके शरीर में है।

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कोर्ट का निर्णय

नासाउ काउंटी सुप्रीम कोर्ट ने डॉ. बतिस्ता की मांगों को खारिज कर दिया। मैट्रिमोनियल रेफरी जेफरी ग्रोब ने अपने फैसले में कहा, “प्रतिवादी का मुआवजा और किडनी मांगना न केवल कानून के विरुद्ध है, बल्कि संभावित रूप से उन्हें आपराधिक मुकदमे में फंसा सकता है।”

यह मामला न केवल तलाक के असामान्य मामलों में से एक है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि किस तरह से व्यक्तिगत संबंधों के विघटन में अक्सर अप्रत्याशित मांगें सामने आ सकती हैं। इस केस ने मेडिकल एथिक्स और कानूनी बाध्यताओं के बीच की सीमा को भी रेखांकित किया है।

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