Shahnawaz: पिता आजाद भारत के बड़े नेता और बेटा पाकिस्तानी आर्मी में अफसर

Shahnawaz Story: शहनवाज खान भारत के एक प्रसिद्ध राजनेता थे जिन्होंने देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री दोनों की सरकारों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। शहनवाज खान एक कुशल प्रशासक और राजनीतिज्ञ थे और देश के विकास में अहम योगदान दे चुके है।

Shahnawaz Khan Story

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नेहरू-शास्त्री सरकारों में अहम पद मिले

शाहनवाज को देश के विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियाँ सौंपी गई और उन्होंने अपने कार्यकाल में सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए कई प्रमुख पहल की। 1951 में वे नेहरू काल में रेलवे और परिवहन उपमंत्री बने। 1954 में उन्हें खाद्य और कृषि मंत्री बनाया गया और 1957 में वे नागरिक उड्डयन मंत्री बने।

शास्त्रीजी का दौर आने पर शाहनवाज़ को 1964 में केंद्रीय कृषि मंत्री की भूमिका मिली। इसके बाद भी वे 1966 में योजना आयोग के उपाध्यक्ष और 1971 में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रहे। उन्हें शिक्षा और संस्कृति के क्षेत्र में भी रुचि थी।

आजाद हिन्द फ़ौज में अहम भूमिका सम्हाली

यह बात बहुत प्रयोग में आई कि शाहनवाज खान नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले थे। उन्हें अंग्रेजों द्वारा बंदी बनाकर दिल्ली के लाल किले में रखा गया था और वे लाल किले मुकदमे के चर्चित अधिकारियों में से एक थे। इसके बाद जब भारत और पाकिस्तान के बंटवारे का समय आया तो शाहनवाज अपने जन्म स्थान रावलपिंडी से भारत लौट आए।

बेटा पाकिस्तानी सेना में अफसर

शाहनवाज खान के बेटे के पाकिस्तानी सेना में अफसर होने का मामला एक बड़ा विवादित मुद्दा बना। इस घटना के बाद उनको इस्‍तीफा देने की मांग के बाद गिरफ्तार भी रखा गया। 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान यह खुलासा हुआ कि शाहनवाज खान का बेटा महमूद नवाज खान पाकिस्तानी सेना में एक बड़ा अफसर था और युद्ध में भारत के खिलाफ लड़ रहा था। यह जानकारी देश में भारी विवाद का कारण बनी।

कई लोगों यह कहते हुए शाहनवाज खान के इस्तीफे की मांग की कि वे देश के प्रति वफादार नहीं हैं लेकिन शाहनवाज खान ने इस्तीफा नहीं दिया। वे कहते थे कि उनका बेटा एक वयस्क व्यक्ति है और उसके फैसलों के लिए उन्हें जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। अंततः शाहनवाज को शास्त्री सरकार से हटा दिया गया।

अंतिम दिनों में राजनीति से दूर हुए

  • युद्ध के बाद शाहनवाज खान राजनीति में सक्रिय रहे लेकिन वे कभी भी अपनी पूर्ववर्ती स्थिति हासिल नहीं कर सके।
  • 1983 में उनका निधन हो गया।

भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान उनके बेटे की भूमिका के कारण उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा। फिर भी उन्हें भारत के विकास में उनके योगदान के लिए याद किया जाता है।

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