Right Over Father’s Land: अक्सर हम सुनते हैं कि परिवारों में जमीन और संपत्ति को लेकर झगड़े हो जाते हैं। ये झगड़े कभी-कभी इतने बढ़ जाते हैं कि लोग अपने ही परिवार के सदस्यों से बात करना बंद कर देते हैं। कई बार, तो ये विवाद बहुत गंभीर रूप ले लेते हैं। इसकी एक बड़ी वजह है संपत्ति और जमीन पर अधिकार को लेकर सही जानकारी का न होना। इस आर्टिकल में, हम इसी मुद्दे को आसान भाषा में समझने की कोशिश करेंगे।
जमीन की दो मुख्य श्रेणियाँ
सबसे पहले, ये जानना जरूरी है कि जमीन और संपत्ति मुख्य रूप से दो तरह की होती है: एक जो व्यक्ति ने खुद कमाई से खरीदी होती है या उपहार के रूप में मिली होती है, और दूसरी जो पीढ़ियों से परिवार में चली आ रही होती है, जिसे हम पैतृक संपत्ति कहते हैं।
इसे भी पढ़े : जमीन विवाद होने पर लगने वाली क़ानूनी धाराओं और क़ानूनी प्रावधान जाने
स्वयं अर्जित जमीन का मामला
जब बात आती है पिता द्वारा खुद से अर्जित जमीन की, तो उनके पास पूरा अधिकार होता है कि वे इसे जैसे चाहें वैसे इस्तेमाल करें। वे चाहे तो इसे बेच सकते हैं, दान कर सकते हैं या वसीयत के जरिए किसी को भी दे सकते हैं। यहाँ पर भारतीय कानून पिता को पूरी आजादी देता है।
पैतृक संपत्ति का मामला
लेकिन पैतृक संपत्ति का मामला थोड़ा अलग होता है। इस तरह की संपत्ति पर, पिता अकेले फैसला नहीं ले सकते। इस पर सभी वारिसों का बराबर का हक होता है, चाहे वो बेटे हों या बेटियाँ।
बेटियों का पैतृक संपत्ति में अधिकार
2005 में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 में किए गए संशोधन ने बेटियों को पैतृक संपत्ति में समान अधिकार प्रदान करके एक महत्वपूर्ण बदलाव लाया। इस संशोधन के अनुसार, बेटियों को पिता की संपत्ति में बेटे के समान अधिकार प्राप्त है। इसका मतलब है कि बेटी भी पिता की संपत्ति में समान हिस्सा पाने की हकदार है। यह संशोधन बेटियों के अधिकारों को पुख्ता करता है और उन्हें आत्मनिर्भर बनने और समाज में समानता का अधिकार प्रदान करता है।
उत्तराधिकार और वसीयत
अगर पिता ने अपनी स्वअर्जित संपत्ति पर वसीयत तैयार की है, तो वसीयत में लिखे अनुसार ही संपत्ति का वितरण होता है। लेकिन अगर वे अपनी जिंदगी में ऐसा कोई फैसला नहीं लेते और उनका निधन हो जाता है, तो उनकी संपत्ति पर सभी वारिसों का समान अधिकार होता है।
क्या कहते हैं नियम हिंदू और मुस्लिम परिवारों के लिए?
हिंदू परिवारों में, उत्तराधिकार के नियम सभी वारिसों को बराबर का हक देते हैं। मुस्लिम परिवारों में भी संपत्ति के वितरण के अपने नियम हैं, जो बेटों और बेटियों के बीच अंतर करते हैं, लेकिन समय के साथ इसमें भी समानता की ओर बढ़ते कदम देखने को मिल रहे हैं।
इस तरह, संपत्ति और जमीन पर अधिकार के नियम काफी स्पष्ट हैं, लेकिन जरूरी है कि परिवार के सदस्य इन नियमों की सही जानकारी रखें और आपस में बातचीत के जरिए किसी भी विवाद को सुलझाने की कोशिश करें।
- Welcome Speech in Hindi: मुख्य अतिथि के लिए स्वागत भाषण ऐसे करें तैयार
- भारत के 28 राज्यों और राजधानियों की पूरी सूची, नाम, 8 केंद्र शासित प्रदेशों की राजधानी
- भारतीय रुपये का अद्भुत सफर: जानिए कैसे विकसित हुआ भारतीय रुपया
- इलेक्टोरल बॉन्ड में इस आदमी ने दिया है सबसे ज्यादा चन्दा, लेकिन किसे?
- डायबिटीज: जानिए क्या है यह बीमारी? इन संकेतों को न करें अनदेखा