History of Asbestos: कभी सोचा है कि कैसे एक चीज एक साथ जादू और जहर दोनों हो सकती है? एस्बेस्टस वो पदार्थ है जो इस बात को सच साबित करता है। इसे इतिहास में जादूई माना जाता था क्योंकि इसके अनोखे गुण थे। लेकिन जैसे-जैसे इंसान ने विज्ञान की समझ विकसित की उन्हें इसके जहरीले पहलू का भी पता चला।
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जादुई और जहरीला है एस्बेस्टस
एस्बेस्टस एक प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला खनिज है जो अपनी अग्निरोधक और रेशेदार प्रकृति के लिए जाना जाता है। एस्बेस्टस का इस्तेमाल बहुत समय से होता आ रहा है। इसकी विशेषताओं के कारण इसे बहुत सारी चीजों में इस्तेमाल किया जाता था।
लेकिन यह भी एक सच है कि एस्बेस्टस जितना जादुई लगता है उतना ही यह जहरीला भी है। इसके संपर्क में आने से कई तरह के स्वास्थ्य सम्बंधित जोखिम उत्पन्न होते हैं जैसे कि फेफड़ों के रोग और कैंसर।
एस्बेस्टस के इस्तेमाल का इतिहास
प्राचीन मिस्र, रोम और ग्रीस में एस्बेस्टस का उपयोग किया जाता था। 18वीं और 19वीं शताब्दी में एस्बेस्टस का उपयोग इमारतों, कपड़ों और अन्य वस्तुओं में व्यापक रूप से किया जाता था। 20वीं शताब्दी के मध्य में एस्बेस्टस के स्वास्थ्य खतरों के बारे में पता चला जिसके कारण इसका उपयोग कम हो गया।
एस्बेस्टस के गुण
एस्बेस्टस उच्च तापमान का सामना कर सकता है और जलता नहीं है। यह इसे इमारतों और अन्य संरचनाओं में आग से बचाव के लिए उपयोगी बनाता है। एस्बेस्टस रेशों से बना होता है जो इसे मजबूत और लचीला बनाते हैं। इन रेशों का उपयोग कपड़े, धागे और अन्य वस्तुओं को बनाने में किया जा सकता है।
एस्बेस्टस एक अच्छा इन्सुलेटर है जिसका अर्थ है कि यह गर्मी और ध्वनि को कम करने में मदद करता है। इसका उपयोग इमारतों में छत, दीवारों और पाइपों को इन्सुलेट करने के लिए किया जाता था। एस्बेस्टस अपेक्षाकृत सस्ता खनिज है जिसके कारण यह निर्माण और अन्य उद्योगों में लोकप्रिय था।
एस्बेस्टस से होने वाले खतरे
एस्बेस्टस खनिज का उपयोग पहले कई तरह के उत्पादों में किया जाता था, जैसे कि छत, पाइप, और कपड़े।हालांकि यह अब ज्ञात है कि एस्बेस्टस फेफड़ों के लिए बहुत हानिकारक है। एस्बेस्टस के रेशे सांस लेने पर फेफड़ों में जा सकते हैं और कई गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं।
ये बीमारियाँ है फेफड़ों का कैंसर, एस्बेस्टोटिस, मेसोथेलियोमाड़। इन बीमारियों के कारण दुनिया के 70 से अधिक देशों ने एस्बेस्टस और इसके उत्पादों पर प्रतिबंध लगा दिया है।
भारत में एस्बेस्टस
भारत में एस्बेस्टस पर प्रतिबंध नहीं है। इसका खनन और उत्पादन भारत में होता है। इसका उपयोग छत, पाइप, और अन्य उत्पादों में किया जाता है। भारत में एस्बेस्टस के उपयोग के खिलाफ कई अभियान चलाए जा रहे हैं। इन अभियानों का उद्देश्य भारत में एस्बेस्टस पर प्रतिबंध लगाना है।
एस्बेस्टस में कई उपयोगी गुण हैं लेकिन इसके स्वास्थ्य और पर्यावरणीय खतरों के कारण इसका उपयोग अब कई देशों में प्रतिबंधित है। यह महत्वपूर्ण है कि आप एस्बेस्टस के खतरों से अवगत रहें और यदि आप एस्बेस्टस युक्त सामग्री के संपर्क में आते हैं तो सावधानी बरतें।
टॉपिक: एस्बेस्टस, History of Asbestos, एस्बेस्टस के खतरे
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