राजधानी वह शहर कहलाती है जो किसी देश, राज्य या प्रदेश की सत्ता का मुख्य स्थल होती है। राजधानी में ही संसद, विधानसभा, अदालतें और देश या राज्य के प्रमुख का आवास स्थित होता है। आमतौर पर, राजधानी वह शहर होता है जो किसी देश या राज्य के लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है, और यह राजनैतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक क्रियाकलापों का प्रमुख केंद्र होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं की भारत के आंध्रप्रदेश की एक नहीं दो नहीं बल्कि तीन-तीन राजधानियां हैं, आइए जानते हैं आंध्रप्रदेश की राजधानियों के बारे में।
तीन राजधानी बनने के पीछे की कहानी
दरअसल 2014 में, आंध्र प्रदेश के बंटवारे के फलस्वरूप एक नया राज्य तेलंगाना का जन्म हुआ। इस विभाजन को आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2014 के तहत मान्यता प्राप्त हुई। इस अधिनियम के अनुसार, हैदराबाद जो की बंटवारे के बाद तेलंगाना राज्य में आ गया था, को दोनों राज्यों – आंध्र प्रदेश और तेलंगाना – की संयुक्त राजधानी के रूप में चुना गया, लेकिन एक शर्त के साथ। यह व्यवस्था केवल 10 वर्षों के लिए रहेगी, जिसके बाद आंध्र प्रदेश को अपनी नई राजधानी की तलाश करनी होगी।
राजधानी के रूप में अमरावती का चयन
2014 में, आंध्र प्रदेश के बंटवारे के बाद हुए विधानसभा चुनावों में चंद्रबाबू नायडू की अगुवाई में तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) ने जीत हासिल की। सत्ता में आते ही, सितंबर 2014 में, टीडीपी सरकार ने आंध्र प्रदेश के लिए नई राजधानी के स्थान के रूप में अमरावती (Andhra Pradesh Capital) का चयन किया। इस निर्णय के पीछे आंध्र प्रदेश के तत्कालीन नगर विकास मंत्री, पी. नारायणा के नेतृत्व में गठित एक कमेटी की सिफारिश थी। अमरावती को राजधानी बनाने की सिफारिश के बाद, सरकार ने किसानों से जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया तेजी से शुरू कर दी, जिसमें 29 गांवों की कुल 54,000 एकड़ में से 38,851 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया जाना था।
वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने बनाई तीन राजधानी
हालांकि, 2019 में, चुनावी परिणामों ने राजनीतिक स्थिति में बदलाव लाया और YS जगन मोहन रेड्डी की अध्यक्षता में नई सरकार सत्ता में आई। नई सरकार ने राजधानी के मुद्दे को फिर से विचाराधीन बना दिया। YS जगन मोहन रेड्डी ने जीएन राव कमेटी का गठन किया और उन्होंने संकेत दिया कि उनकी सरकार आंध्र प्रदेश में तीन राजधानियों के विचार पर काम कर रही है। यह विचार राज्य के विकास में समानता लाने और विभिन्न क्षेत्रों की विकासात्मक आवश्यकताओं को पूरा करने की दिशा में एक कदम माना जा रहा था।
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आंध्र प्रदेश की तीन राजधानियां
आंध्र प्रदेश में तीन राजधानियां हैं:
- अमरावती: यह राज्य की विधायी राजधानी है। यहाँ विधानसभा और विधान परिषद भवन स्थित हैं।
- विशाखापट्टनम: यह राज्य की कार्यकारी राजधानी है। यहाँ मुख्यमंत्री का कार्यालय और सचिवालय स्थित हैं।
- कुरनूल: यह राज्य की न्यायिक राजधानी है। यहाँ उच्च न्यायालय स्थित है।
तीन राजधानियों का निर्णय 2019 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने लिया था। उन्होंने कहा कि यह निर्णय राज्य के सभी क्षेत्रों के विकास को सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है।
तीन राजधानियों के निर्णय के पक्ष और विपक्ष तर्क
पक्ष में तर्क:
- यह निर्णय राज्य के सभी क्षेत्रों के विकास को सुनिश्चित करेगा।
- यह राजधानी शहरों पर बोझ को कम करेगा।
- यह राज्य में रोजगार के अवसर पैदा करेगा।
विपक्ष में तर्क:
- यह निर्णय राज्य के लिए बहुत महंगा होगा।
- यह राजधानी शहरों के बीच प्रतिस्पर्धा पैदा करेगा।
- यह राज्य में राजनीतिक अस्थिरता पैदा करेगा।
तीन राजधानियों का निर्णय अभी भी विवादास्पद है, और मामला कोर्ट में भी चल रहा है। यह देखना बाकी है कि यह निर्णय राज्य के लिए फायदेमंद होगा या नहीं
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