सुप्रीम कोर्ट फैसला: 12 साल बाद किराएदार का हो जाएगा मकान! जानिए क्या है मामला

12 Year Property Rule in India: क्या आप अपना मकान किराए पर देते हैं? घर का किराया एक स्थायी इनकम देता है, लेकिन इससे जुड़े नियमों से अनजान लोग अपना नुकसान भी करवा बैठते हैं। कई बार प्रॉपर्टी मालिक किराये पर चढ़ाने के बाद सालों तक उसकी सुध नहीं लेते। उन्हें सिर्फ किराये से मतलब होता है जो हर महीने खाते में पहुंच जाता है। यह लापरवाही है और किसी दिन यह बहुत भारी पड़ सकती है। अगर आप भी घर किराये भी देते हैं, तो यह खबर आपके लिए बेहद जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में किराएदारों के हक में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है जो मकान मालिकों के लिए झटके के रूप में देखा जा रहा है।

Supreme Court on Tenant's House

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किराएदारों के लिए सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला

अगर आप भी अपना मकान किराए पर उठाते हैं तो यह खबर खास आपके लिए है। किराए पर घर दे रहे मकान मालिकों को सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा झटका देते हुए अहम फैसला सुनाया है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक, अगर वास्तविक या वैध मालिक अपनी अचल संपत्ति को दूसरे के कब्जे से वापस पाने के लिए समयसीमा के अंदर कदम नहीं उठा पाएंगे तो उनका मालिकाना हक समाप्त हो जाएगा। उस अचल संपत्ति पर जिसने कब्जा कर रखा है उसी को कानूनी तौर पर मालिकाना हक दे दिया जाएगा।

फैसले के बाद संशय की स्थिति

सुप्रीम कोर्ट द्वारा किराएदारों के हक में दिए गए फैसले के बाद लखनऊ में मकान मालिकों और किरायेदारों में संशय की स्थिति बढ़ गयी है। मकान मालिकों का कहना है कि यह फैसला उनके लिए झटके के रूप में आया है। उनका मानना ​​है कि यह फैसला किराएदारी समझौतों को कमजोर करेगा और मकान मालिकों को उनका किराया वसूलने में मुश्किलें खड़ी करेगा।

फैसला मकान मालिकों के लिए चेतावनी

लखनऊ के हुसैनगंज निवासी अरुणेश का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला मकान मालिकों के लिए एक चेतावनी है। अब उन्हें अपना मकान किराए पर देने से पहले ज्यादा सावधानी बरतनी होगी।

उनके अनुसार मकान मालिकों को कुछ बातों का ध्यान रखना होगा। जैसे एक मजबूत और कानूनी रूप से वैध रेंट एग्रीमेंट होना महत्वपूर्ण है। इसमें किराए की राशि, जमा राशि, किराए की अवधि, और अन्य महत्वपूर्ण शर्तों का उल्लेख होना चाहिए।

मकान मालिक को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हाउड रेंट बिल का भुगतान नियमित रूप से किया जाता है। किरायेदार के लिए इन बिलों का भुगतान करने की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए। मकान मालिक को यह जानना चाहिए कि यदि किरायेदार किराया नहीं देता है या अन्य समस्याएं पैदा करता है तो उसे क्या कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए।

सरकार की प्रॉपर्टी पर नियम लागू नहीं

सुप्रीम कोर्ट का फैसला केवल उन मामलों में लागू होता है जहां किराएदार किसी मजबूरी के कारण किराया नहीं दे पाता है। यह फैसला सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे को वैध नहीं बनाता है। सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे को हटाने का अधिकार सरकार को है। सरकार को इस फैसले को संपत्ति के मामलों से जोड़कर नहीं देखना चाहिए।

12 साल का नियम

प्रॉपर्टी कानून में कुछ ऐसे नियम भी हैं, जहां लगातार 12 साल तक किसी प्रॉपर्टी पर रहने के बाद किरायेदार उस पर हक का दावा कर सकता है। हालांकि, इसकी शर्तें काफी कठिन हैं, लेकिन आपकी संपत्ति विवाद के घेरे में आ सकती है।

नुकसान से बचने के लिए

  • रेंट एग्रीमेंट: एक लिखित रेंट एग्रीमेंट बनाना सबसे महत्वपूर्ण है। इसमें किराये की राशि, जमानत राशि, किराया बढ़ाने की शर्तें, मरम्मत की जिम्मेदारी, और अन्य महत्वपूर्ण बातें शामिल होनी चाहिए।
  • नियमित संपर्क: नियमित रूप से किरायेदार से संपर्क में रहें और संपत्ति की स्थिति का जायजा लेते रहें।
  • मरम्मत और रखरखाव: समय पर मरम्मत और रखरखाव का काम करवाएं। यदि किरायेदार मरम्मत के लिए कहता है और आप अनदेखा करते हैं, तो यह किरायेदार को 12 साल के नियम के तहत हक का दावा करने का आधार दे सकता है।
  • कानूनी सलाह: यदि आपको कोई संदेह है, तो हमेशा एक वकील से कानूनी सलाह लें।

यह भी ध्यान रखें:

  • किरायेदार को कानूनी अधिकार हैं। उन्हें बिना उचित कारण के बेदखल नहीं किया जा सकता है।
  • किराया नियंत्रण कानून: कुछ राज्यों में किराया नियंत्रण कानून लागू हैं, जो किराये की राशि को नियंत्रित करते हैं।
  • तक्ष : किराए से होने वाली आय पर आपको कर देना होगा।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विश्लेषण

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने मालिकाना हक और अवैध कब्जे से जुड़े एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि संपत्ति पर जिसका कब्जा है उसे कोई दूसरा व्यक्ति बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के वहां से हटा नहीं सकता।

यह भी महत्वपूर्ण है कि किरायेदार और मकान मालिक दोनों ही इस फैसले के बारे में जागरूक हों और इसके अनुसार व्यवहार करें।

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