Success Story : कभी झुग्गी में रहा करता था यह शख्स, आज खड़ा किया है 41 लाख करोड़ का साम्राज्य! जानिए उनकी सफलता का राज

Success Story : सपने देखने की उम्र नहीं होती, सफलता पाने की कोई समय सीमा नहीं होती। यह बात सच है, और इसका प्रमाण है श्री देवेंद्र पारेख जी की कहानी।झुग्गी में जन्मे देवेंद्र जी ने अपनी लगन, मेहनत और दृढ़ संकल्प से 41 लाख करोड़ रुपये का विशाल साम्राज्य खड़ा किया है।

Success Story : कभी झुग्गी में रहा करता था यह शख्स, आज खड़ा किया है 41 लाख करोड़ का साम्राज्य! जानिए उनकी सफलता का राज
Success Story : कभी झुग्गी में रहा करता था यह शख्स, आज खड़ा किया है 41 लाख करोड़ का साम्राज्य! जानिए उनकी सफलता का राज

सफलता की उम्र नहीं होती: मुंबई की चॉल से 41 लाख करोड़ रुपये का साम्राज्य खड़ा करने वाले शख्स की प्रेरणादायी कहानी! न उम्र की सीमाएं, न समय की पाबंदियां: सफलता उन लोगों के लिए होती है जिनमें जज्बा होता है, कुछ कर गुजरने का हौसला होता है। आज हम आपको एक ऐसी ही प्रेरणादायी कहानी सुनाते हैं, जो मुंबई की चॉल से निकलकर 41 लाख करोड़ रुपये का विशाल साम्राज्य खड़ा करने वाले एक शख्स की है।

एचटी पारेख (HT Parekh) की इस संघर्ष भरी और सफलता की भरपूर कहानी में, जिनका पूरा नाम हसमुख ठाकोदास पारेख है, उन्होंने मुंबई की चॉलों में अपने बचपन और जवानी को बिताया। आज, उनकी मेहनत और साहस के परिणामस्वरूप वह 2 लाख परिवारों को सीधे तौर पर रोजगार प्रदान कर रहे हैं। उनके पिता बैंक में कर्मचारी थे और सूरत में उत्पन्न हुए पारेख ने अपने जीवन की प्रारंभिक सीखें यहाँ से ही प्राप्त की थीं।इनके संघर्ष भरे दिनों में, कॉलेज की पढ़ाई के दौरान, उन्होंने अपने खर्च को चलाने के लिए पार्ट-टाइम जॉब किया। उन्होंने सूरत से मुंबई में इकनॉमिक्स में ग्रेजुएशन किया, जिससे उन्होंने अपनी शिक्षा की यात्रा आरंभ की।

मास्‍टर से सीएमडी तक का सफर-
ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद, पारेख को यूके में एक बड़े मौके का सामना करने का अवसर मिला, और उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स से बैंकिंग एंड फाइनेंस में डिग्री प्राप्त की। शिक्षा पूरी करने के बाद भारत लौटने पर, उन्होंने सेंट जेवियर कॉलेज में लेक्चरर के रूप में काम करना शुरू किया। कुछ समय बाद, हरकिशनदास लक्ष्मीदास फर्म में स्टॉक ब्रोकिंग का कार्य किया और फिर आईसीआईसीआई (ICICI) में डिप्टी जनरल मैनेजर के रूप में काम करने का अवसर पाया। उन्होंने अपनी करियर को आईसीआईसीआई में चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर के पद तक बढ़ाया, जहां उन्होंने 16 साल तक सेवा की। इसके बाद, उन्होंने अपने पेशेवर जीवन का एक यात्रा समाप्त की।

रिटायरमेंट के बाद बनाई कंपनी-
अधिकांश लोगों के लिए रिटायरमेंट उनके करियर का समाप्ति स्थान होता है, लेकिन एचटी पारेख ने अपने जीवन का सबसे महत्वपूर्ण कार्य रिटायरमेंट के बाद किया। उन्होंने 66 साल की आयु में मिडिल क्लास लोगों के घर का सपना पूरा करने के लिए होम लोन देने वाली एक गैर-बैंकिंग फाइनेंस कंपनी बनाई और 1977 में एचडीएफसी (HDFC) की स्थापना की। कंपनी की स्थापना के एक साल बाद, उन्होंने 1978 में पहला लोन दिया।

तेजी से बढ़ता गया कारोबार-
पारेख ने इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा और उनकी कंपनी ने 1984 तक, यानी अगले 6 साल में ही 100 करोड़ रुपये के लोन बांट दिए। उनकी कंपनी का मार्केट बेस लगातार बढ़ता गया और बैंकिंग सेक्टर में अपने उत्कृष्ट काम के लिए उन्हें साल 1992 में पद्म भूषण से सम्‍मानित किया गया। आज उनकी कंपनी देश में करीब 1.77 लाख लोगों को सीधे तौर पर नौकरियां देती है।

जर्मनी की जनसंख्‍या से ज्‍यादा कस्‍टमर-
पारेख ने 30 साल बाद अपनी दो कंपनियों HDFC और HDFC Bank को मर्ज करने का फैसला किया और मार्च, 2023 में दोनों कंपनियां एक हो गईं। इस मर्जर के बाद कुल बिसकजनेस 41 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया है, जबकि इसका मार्केट एसेट 4.14 लाख करोड़ रुपये हो गया है। आज HDFC Bank के कस्टमर की संख्‍या जर्मनी की कुल जनसंख्‍या से भी ज्‍यादा है। देशभर में 8,300 से ज्‍यादा ब्रांच खोल चुके इस बैंक के करीब 12 करोड़ ग्राहक हैं। मार्च, 2023 में इस कंपनी को 60 हजार करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ है।

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