राज्यसभा सांसद: क्या होती है राजयसभा, कौन है राजयसभा सांसद, क्षेत्र की सीमाओं से मुक्त, राष्ट्र के प्रति समर्पित

15 राज्यों में 56 राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव होने वाले हैं। इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस और कई अन्य राजनीतिक पार्टियों ने अपने उम्मीदवारों का प्रस्ताव रखा है। कांग्रेस ने राजस्थान से सोनिया गांधी और हिमाचल प्रदेश से अभिषेक मनु सिंघवी को उम्मीदवार बनाया है। बीजेपी ने उत्तर प्रदेश से आर पीएन सिंह, डॉ सुधांशु त्रिवेदी, चौधरी तेजवीर सिंह आदि को चुनाव में उतारा है। उत्तराखंड से बीजेपी ने महेंद्र भट्ट और ओडिशा से केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव को उम्मीदवार बनाया है।

राज्यसभा सांसद: क्या होती है राजयसभा, कौन है राजयसभा सांसद, क्षेत्र की सीमाओं से मुक्त, राष्ट्र के प्रति समर्पित
राज्यसभा सांसद: क्या होती है राजयसभा, कौन है राजयसभा सांसद, क्षेत्र की सीमाओं से मुक्त, राष्ट्र के प्रति समर्पित

राज्यसभा सांसदों का मुख्य काम है केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित कानूनों और संविधान के संशोधनों पर विचार करना। वे अपने राज्य या क्षेत्र के मुद्दों और जनता की आवश्यकताओं को सरकार के साथ साझा करते हैं। इन्हें एमपी फंड मिलता है, जिसका उपयोग वे अपने क्षेत्र में विकास कार्यों के लिए कर सकते हैं। इन कार्यों में शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन, बिजली, पानी, और अन्य सामाजिक सेवाओं को सुधारना शामिल होता है।

क्या होती है राजयसभा ?

राज्यसभा, जिसे “हाउस ऑफ द पीपुल” भी कहा जाता है, भारत की संसद का ऊपरी सदन है। यहां जनता का सीधा प्रतिनिधित्व नहीं होता, बल्कि यहां राज्यों और संघ शासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व होता है।

राज्यसभा का गठन 1952 में भारतीय संविधान के लागू होने के साथ हुआ। इसका मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न क्षेत्रों, समुदायों और विचारधाराओं को संतुलित प्रतिनिधित्व देना था।

राज्यसभा को विधायी मामलों में लोकसभा के बराबर शक्तियां प्राप्त हैं। इसके अलावा, कुछ विशेष शक्तियां भी राज्यसभा के पास हैं, जैसे राष्ट्रपति के चुनाव में मतदान, आपातकाल की घोषणा को मंजूरी देना, और किसी भी संवैधानिक पद को हटाने का प्रस्ताव पारित करना।

कौन होते हैं राज्यसभा सांसद?

राज्यसभा सांसद वे होते हैं जो भारत की संसद के ऊपरी सदन, यानी राज्यसभा में बैठते हैं। राज्यसभा में कुल 250 सदस्य होते हैं, जिनमें से 233 सदस्यों का चुनाव राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के विधानसभा सदस्यों द्वारा किया जाता है और 12 सदस्यों को राष्ट्रपति द्वारा कला, साहित्य, विज्ञान और सामाजिक सेवा के क्षेत्रों में उनके योगदान के लिए मनोनीत किया जाता है।

राज्यसभा सांसदों के मुख्य कार्य:

राज्यसभा सांसद विभिन्न विधेयकों पर चर्चा करते हैं, संशोधन प्रस्ताव पेश करते हैं, और उन्हें पारित करते हैं। वे संसदीय समितियों में भी शामिल होकर नीति निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

साथ ही, राज्यसभा सरकार की नीतियों और कार्यों की समीक्षा करती है। वे प्रश्न पूछकर, बहस छेड़कर, और प्रस्ताव पेश करके सरकार को जवाबदेह ठहराने का प्रयास करते हैं।

उनका एक अहम कार्य है अपने-अपने राज्यों के हितों की पैरवी करना और उनके विकास कार्यों के लिए आवाज उठाना।

राज्यसभा सांसद: क्षेत्र से परे, राष्ट्र के लिए!

नहीं, राज्यसभा सांसदों का कोई निश्चित क्षेत्र नहीं होता है। लोकसभा सांसदों के विपरीत, जो एक निश्चित क्षेत्र के लिए चुने जाते हैं, राज्यसभा सांसद पूरे राज्य का प्रतिनिधित्व करते हैं। वे किसी भी क्षेत्र में विकास कार्य कर सकते हैं, किसी एक क्षेत्र में नहीं।

उदाहरण: मान लीजिए कि आप उत्तर प्रदेश से हैं। आपके क्षेत्र (जैसे कि लखनऊ या वाराणसी) के लिए एक लोकसभा सांसद होगा। लेकिन उत्तर प्रदेश के लिए कई राज्यसभा सांसद होंगे, जो पूरे राज्य का प्रतिनिधित्व करेंगे।

फंड के लिए क्या है नियम ?

अली अनवर ने बताया कि राज्यसभा सांसदों को लोकसभा सांसदों की तरह ही फंड और अन्य सुविधाएं मिलती हैं। उनके पास लोकसभा एमपी की तरह ही भत्ते और फंड होते हैं, जिन्हें वे पूरे राज्य में उपयोग कर सकते हैं।

ये काम राज्यसभा सांसदों के लिए नहीं होते हैं।

राज्यसभा सांसदों की कोई स्पष्ट भूमिका वित्त विधेयकों में नहीं होती है और उन्हें इन विधेयकों पर कोई चर्चा नहीं करनी पड़ती।

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