Property Knowledge: पैतृक संपत्ति बेचने से पहले किनकी सहमति जरूरी है? जानिए पूरी जानकारी

Property Knowledge: पैतृक संपत्ति, परिवार की एक अमूल्य विरासत, जो भावनात्मक और आर्थिक दोनों रूप से महत्वपूर्ण होती है। समय के साथ, संपत्ति के स्वामित्व में बदलाव होता है, और इसे अगली पीढ़ी को हस्तांतरित करने की जिम्मेदारी आती है। सुरक्षा और कानूनी अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए, पैतृक संपत्ति पर अपना नाम अपडेट करना महत्वपूर्ण है। यह एक व्यवस्थित प्रक्रिया है, जिसमें कुछ महत्वपूर्ण चरणों का पालन करना शामिल होता है

Property Knowledge : पैतृक संपत्ति बेचने से पहले किनकी सहमति जरूरी है? जानिए पूरी जानकारी
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सम्पत्ति संबंधित नियमों और कानूनों की अधिगम में लोगों में अकसर जानकारी की कमी होती है। वे इसके संबंध में सवालों में उलझे रहते हैं। यह जानकारी की कमी के कारण आमतौर पर संपत्ति संबंधित विवाद उत्पन्न होते हैं। इस परिस्थिति में यह महत्वपूर्ण है कि लोगों को संपत्ति संबंधित नियम-कानूनों के बारे में सामान्य जागरूकता हो। एक ऐसा मुद्दा भी है जिससे संबंधित है, वह है पैतृक संपत्ति। इस लेख में, हम इस पैतृक संपत्ति के संबंध में एक ऐसे समस्या का समाधान करेंगे और आपको बताएंगे कि पैतृक संपत्ति को कैसे और किस तरह से बेचा जा सकता है।

क्या है पैतृक संपत्ति

भारत में यदि हम जमीन के सामान्य वर्गीकरण की दृष्टि से देखें, तो प्रमुख रूप से जमीन को किसी व्यक्ति द्वारा दो तरीके से प्राप्त किया जाता है। पहला तरीका वह है जिसमें व्यक्ति ने खुद से खरीदी है या उसे उपहार, दान, या किसी के द्वारा हक त्याग (अपने हिस्से की जमीन को ना लेना) इत्यादि से प्राप्त की है। इस प्रकार की संपत्ति को स्वयं अर्जित की हुई संपत्ति कहा जाता है।

दूसरा तरीका है जिसमें जमीन है जो कि पिता ने अपने पूर्वजों से प्राप्त की है। इस प्रकार से प्राप्त की गई जमीन को पैतृक संपत्ति की श्रेणी में रखा जाता है। पैतृक संपत्ति को खुद से खरीदी गई संपत्ति की तुलना में इसे बेचने के लिए कानून थोड़े कड़े हैं।

कौन बेच सकता है पैतृक संपत्ति

पैतृक संपत्ति पर परिवार की चार पीढ़ियों का दावा होता है। यदि किसी ने निर्णय किया है कि इस संपत्ति को बेचना आवश्यक है, तो इसे किसी एक व्यक्ति की व्यक्तिगत रज़ामंदी पर नहीं बेचा जा सकता है। इसके आंशिक मालिकों के निर्णय के आधार पर भी इसकी बिक्री नहीं की जा सकती है।

पैतृक संपत्ति को बेचने के लिए, इससे जुड़े सभी हितधारकों की रजामंदी आवश्यक है, जिसमें बेटियां भी शामिल होती हैं। जब सभी पक्ष सहमत होते हैं, तो कानूनी प्रक्रियाओं के अनुसार पैतृक संपत्ति बेची जा सकती है

बिना सहमति बेचने पर लिया जा सकता है कानूनी सहारा

पैतृक संपत्ति को इससे जुड़े पक्षों की सहमति या परामर्श के बिना बेचा जाता है, तो इसको लेकर अन्य संबंधित पक्ष कानूनी नोटिस भेज सकते हैं। ऐसे में संपत्ति की बिक्री पर स्टे लग सकता है या बिक्री रद्द भी हो सकती है।

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