Plasma Stealth Device: हवाई युद्ध में छुपना एक कला है खासकर जब आपका सामना जमीन से मार करने वाली घातक मिसाइलों से हो। चीन के वैज्ञानिकों ने इस कला में महारत हासिल करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है – उन्होंने एक ऐसा उपकरण बनाया है जो फाइटर जेट को दुश्मन के राडार से अदृश्य कर सकता है! तो चलिए आज बात करते हैं इस प्लाज्मा स्टेल्थ डिवाइस की जो चीन की हवाई ताकत को नया आयाम दे सकता है।
यह भी पढ़ें:- पासपोर्ट की ताकत का खेल: किस देश का रहा सबसे लंबा शासन? भारत का स्थान क्या है?”
प्लाज्मा स्टेल्थ: छिपने का नया तरीका
प्लाज्मा स्टेल्थ, जैसा कि नाम से ही पता चलता है प्लाज्मा पर आधारित तकनीक का इस्तेमाल करता है। यह उपकरण विमान के बाहरी हिस्से पर एक पतली प्लाज्मा परत बनाता है जो रेडियो तरंगों को बिखेर देता है। ये तरंगें ही रडार को विमान का पता लगाने में मदद करती हैं। प्लाज्मा परत इन तरंगों को इस तरह से बिखेर देती है कि रडार को सिर्फ धुंधला सा सिग्नल मिलता है जिससे विमान का पता लगाना मुश्किल हो जाता है।
इस तकनीक के और भी फायदे
- यह पारंपरिक स्टेल्थ तकनीक से ज्यादा किफायती है।
- इसे किसी भी मौसम में इस्तेमाल किया जा सकता है।
- इसे अलग-अलग आकार के विमानों पर लगाया जा सकता है।
रेडियो तरंगों में ऐसे गड़बड़ी होगी
यह डिवाइस विमान के बाहरी हिस्से पर प्लाज्मा की एक पतली परत बनाता है। प्लाज्मा विद्युत आवेशित गैस होती है जो रेडियो तरंगों को बिखेर देती है। ये तरंगें ही रडार को विमान का पता लगाने में मदद करती हैं। प्लाज्मा परत इन तरंगों को इस तरह से बिखेर देती है कि रडार को सिर्फ धुंधला सा सिग्नल मिलता है जिससे विमान का पता लगाना मुश्किल हो जाता है।
चीन और दुनिया का स्टेल्थ टेक्नोलॉजी खेल
स्टेल्थ टेक्नोलॉजी हवाई जंग में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चीन इस क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों में काफी तेजी से विकास कर रहा है। इसका J-20 फाइटर जेट विश्व का सबसे उन्नत स्टेल्थ विमानों में से एक है। हालांकि अमेरिका, रूस और कुछ अन्य देश भी इस क्षेत्र में लगातार आगे बढ़ रहे हैं।
पिछले हफ्ते ही अमेरिका ने अपने अगली पीढ़ी के B-21 रेडर बमवर्षक का अनावरण किया, जो कि दुनिया का सबसे पहला छठा पीढ़ी का विमान है। यह स्पष्ट है कि दुनिया भर के देश स्टेल्थ टेक्नोलॉजी में वर्चस्व पाने की कोशिश कर रहे हैं।
अमेरिकी स्टेल्थ एयरक्राफ्ट में ये तकनीक नहीं
शीत युद्ध के दौरान अमेरिका और सोवियत संघ दोनों प्लाज्मा स्टेल्थ टेक्नोलॉजी विकसित करने में लगे हुए थे। लेकिन कई तकनीकी चुनौतियों के कारण यह तकनीक प्रयोगशाला से बाहर नहीं निकल पाई। अमेरिका के F-22 और F-35 स्टेल्थ फाइटर जेट्स राडार-एबजॉर्बेंट कोटिंग और जियोमेट्रिक डिजाइन का उपयोग करते हैं।
F-22 क्लोज कॉम्बैट में कमजोर है जबकि F-35 लगातार सुपरसोनिक गति नहीं बनाए रख सकता। इन दोनों विमानों की कीमत भी बहुत ज्यादा है।
टॉपिक: Plasma Stealth Device, प्लाज्मा स्टेल्थ डिवाइस, China Plasma Stealth Device
अन्य खबरें भी देखें:
- Welcome Speech in Hindi: मुख्य अतिथि के लिए स्वागत भाषण ऐसे करें तैयार
- भारत के 28 राज्यों और राजधानियों की पूरी सूची, नाम, 8 केंद्र शासित प्रदेशों की राजधानी
- भारतीय रुपये का अद्भुत सफर: जानिए कैसे विकसित हुआ भारतीय रुपया
- इलेक्टोरल बॉन्ड में इस आदमी ने दिया है सबसे ज्यादा चन्दा, लेकिन किसे?
- डायबिटीज: जानिए क्या है यह बीमारी? इन संकेतों को न करें अनदेखा