फोन की लत और शराब की लत, कौन है ज्यादा घातक, स्वास्थ्य पर कैसे पड़ रहा इसका असर

हाल ही में मैं दिल्ली मेट्रो में था और देखा कि सभी लोगों के हाथ में मोबाइल था। कुछ लोग गेम खेल रहे थे, कुछ सोशल मीडिया पर स्क्रॉल कर रहे थे, और कुछ वीडियो कॉल पर थे। फिर अचानक स्टेशन पर एक घोषणा हुई कि अगली ट्रेन 10 मिनट लेट होगी। लोगों के चेहरों पर तनाव का अंदाज़ था, जैसे कि उनकी दुनिया रुक गई हो। यह घटना मुझे सोचने पर मजबूर किया कि क्या हम मोबाइल के बहुत आदी हो गए हैं और क्या यह एक लत बन चुकी है? अगर हां, तो क्या फोन की लत शराब की लत से भी अधिक खतरनाक है?

सामाजिक जीवन पर प्रभाव: फोन की लत और शराब की लत, कौन है ज्यादा घातक?
सामाजिक जीवन पर प्रभाव: फोन की लत और शराब की लत, कौन है ज्यादा घातक?

फोन की लत और शराब की लत

फ़ोन की लत: फोन की लत को “स्मार्टफोन निर्भरता” या “स्मार्टफोन प्रॉब्लमैटिक यूज (PSU)” भी कहा जाता है। इसका मतलब है कि व्यक्ति बिना स्मार्टफोन के रहने की स्थिति में हो नहीं पाता, और इससे उसके व्यक्तिगत, सामाजिक, और व्यावसायिक जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। फोन की लत एक नई और अभी ताजा अवधारणा है, क्योंकि स्मार्टफोन का यह प्रचलन कुछ ही सालों पहले हुआ है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इस समस्या को गंभीरता से न लिया जाए।

शराब की लत: शराब की लत एक पुरानी और गंभीर समस्या है। इसे “अल्कोहल निर्भरता विकार (AUD)” भी कहा जाता है। इसमें व्यक्ति जानते हुए भी शराब के नकारात्मक प्रभावों के कारण इसका सेवन जारी रखता है। इससे स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याएं होती हैं, साथ ही सामाजिक, वित्तीय, और कानूनी परेशानियां भी हो सकती हैं।

दोनों ही तरह की लतें व्यक्ति के जीवन को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती हैं। हालांकि, यह कहना मुश्किल है कि कौन सी लत ज्यादा खतरनाक है, क्योंकि इसके आकलन में व्यक्तिगत परिस्थितियों, लत की गंभीरता और उससे होने वाले नुकसान को ध्यान में रखना पड़ता है।

बच्चों के पास खुद के फोन

हैप्पीनेट्ज के एक सर्वे के अनुसार, 12 वर्ष से अधिक आयु के 69 फीसदी बच्चों के पास अपने टैबलेट या स्मार्टफोन हैं। इसमें से 74 फीसदी बच्चे यूट्यूब देखते हैं और स्क्रीन पर सबसे ज्यादा समय बिताते हैं। इसके साथ ही, 61 फीसदी बच्चे डिजिटल गेमिंग में बिजी रहते हैं। यहाँ तक कि ये बच्चे हर दिन औसतन 2 से 4 घंटे स्क्रीन पर मोबाइल एंटरटेनमेंट में समय बिताते हैं।

नशे के बराबर फोन

स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन और स्टैनफोर्ड एडिक्शन मेडिसिन डुअल डायग्नोसिस क्लिनिक की प्रोफेसर डॉ. अन्ना लेंबके ने बताया कि स्मार्टफोन अब एक नशे की दवा के समान हो गया है। उनके अनुसार, हम फोन के माध्यम से बिना किसी नशीले पदार्थ के नियमित रूप से कुछ गतिविधियों के आदी हो रहे हैं, जिससे हमारे स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव हो रहे हैं।

लत स्वास्थ्य के लिए हानिकारक

खासकर बच्चों में फोन की लत बढ़ गई है। जब उन्हें फोन नहीं मिलता है, तो वे गुस्से में आते हैं, खाना नहीं खाते, और उनमें चिड़चिड़ापन दिखाई देता है। किसी भी चीज की लत इतनी खतरनाक होती है कि इसका असर स्वास्थ्य पर पड़ता है।

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