IAF Missing Plane: 8 साल बाद मिला एयरफोर्स का लापता विमान, जानिए कैसे एक मशीन ने सुलझाया रहस्य

भारतीय वायु सेना (IAF) का एक AN-32 विमान, जो 22 जुलाई 2016 को चेन्नई से पोर्ट ब्लेयर के लिए उड़ान भरा था, 8 साल बाद बंगाल की खाड़ी में मिला है। यह विमान 29 लोगों को लेकर उड़ान भरा था, जिसमें 6 क्रू सदस्य और 23 सैनिक शामिल थे। इस विमान के लापता होने के बाद से ही IAF और नौसेना द्वारा लगातार खोज अभियान चलाया जा रहा था।

IAF Missing Plane: 8 साल बाद मिला एयरफोर्स का लापता विमान, जानिए कैसे एक मशीन ने सुलझाया रहस्य
IAF Missing Plane: 8 साल बाद मिला एयरफोर्स का लापता विमान, जानिए कैसे एक मशीन ने सुलझाया रहस्य

भारतीय वायुसेना का लापता विमान

22 जुलाई, 2016 को एक घटना घटी जिसने भारतीय वायुसेना के इतिहास में एक गहरी छाप छोड़ी। An-32 विमान, जो चेन्नई के तांबरम एयरबेस से पोर्ट ब्लेयर की यात्रा पर था, अचानक से लापता हो गया। इस विमान पर सवार 29 कर्मचारियों की खोज में एक बड़ा अभियान चलाया गया, लेकिन न तो विमान का पता चला और न ही इसके किसी अवशेष का।

गहरे समुद्र में मिला विमान का मलबा

लगभग 8 सालों के इंतजार के बाद, यह गुत्थी तब सुलझी जब हिंद महासागर की गहराइयों में चेन्नई तट से करीब 3.4 किलोमीटर नीचे विमान के मलबे का पता चला। यह खोज उन 29 परिवारों के लिए एक बड़ी राहत लेकर आई जिन्होंने अपने प्रियजनों को खो दिया था और इसने भारत की गहरे समुद्री अनुसंधान की क्षमता को भी साबित किया। इस सफलता के पीछे राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (NIOT) का हाथ था।

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वैज्ञानिकों की मेहनत और तकनीक

इस मिशन में शामिल वैज्ञानिकों ने बताया कि उन्होंने समुद्र के तल पर अप्राकृतिक वस्तुओं का पता लगाया जो बाद में विमान के मलबे के रूप में पहचानी गईं। इस खोज की पुष्टि भारतीय वायुसेना ने की।

नॉर्वे से आई चमत्कारी मशीन

2022 में, भारत ने नॉर्वे से एक अत्याधुनिक सबमर्सिबल मशीन, OMe-6000, को खरीदा जिसे विशेष रूप से गहरे समुद्री अनुसंधान के लिए डिजाइन किया गया था। यह मशीन 6,000 मीटर तक की गहराई में जा सकती है और इसी मशीन ने विमान के मलबे को खोज निकाला। IAF और नौसेना द्वारा विमान का पता लगाने के लिए कई अभियान चलाए गए थे। इन अभियानों में डोर्नियर विमान, 11 जहाज, और कई अन्य उपकरणों का उपयोग किया गया था।

वैज्ञानिक चमत्कार और भविष्य के अनुसंधान

यह खोज वैज्ञानिक चमत्कार का उदाहरण है और भारत की तकनीकी क्षमता को प्रदर्शित करती है। OMe-6000 के विकास और इसके सफल उपयोग से भारतीय अनुसंधान की नई संभावनाओं का द्वार खुला है।

ओशन मिनरल एक्सप्लोरर और इसका महत्व

OMe-6000, जो गहरे समुद्री खोजों के लिए एक मल्टी-रोल वाहन है, वाणिज्यिक, वैज्ञानिक, और रक्षा अनुप्रयोगों के लिए उच्च-रिजॉल्यूशन डेटा इकट्ठा कर सकता है। इस मशीन के विकास ने भारत के समुद्री अनुसंधान और संसाधन दोहन की क्षमता को बढ़ाया है।

इस खोज से भारत के अनुसंधान और तकनीकी क्षमताओं में एक नई दिशा का संकेत मिलता है। यह न केवल वायुसेना के लापता विमान के रहस्य का समाधान करता है, बल्कि भविष्य के अनुसंधान और समुद्री संसाधनों के दोहन में नई संभावनाओं का भी पता चलता है।

सेना के परिवारों की मिली राहत

इस विमान के लापता होने के बाद से ही सैनिकों के परिवारों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। 8 साल बाद विमान का पता लगने से उन्हें राहत मिली है। यह घटना IAF के लिए एक बड़ी सफलता है। यह विमान 8 साल बाद भी बंगाल की खाड़ी में मिला है, यह दर्शाता है कि IAF और नौसेना द्वारा खोज अभियान लगातार जारी रखा गया था।

हालाँकि अभी तक इस विमान के लापता होने के कारणों का पता नहीं चल पाया है। IAF द्वारा इस घटना की जांच की जा रही है।

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