जामनगर के महाराजा के नाम पर पौलैंड में सड़को के नाम क्यों है? जाने पूरी कहानी

Jamnagar’s Maharaja Roads in Poland: गुजरात के महाराजा जाम साहब दिग्विजयसिंह जी रणजीतसिंह जी का नाम ऐसा है जिसे भारत सहित विदेशों में भी सम्मान मिलता है। उनका कद उनके नाम के उत्कृष्टता के साथ ही मिलता है। पोलैंड में उनके नाम पर कई सड़कों और योजनाओं के नाम रखे गए हैं जो उनकी महत्वपूर्ण योगदान को दर्शाते हैं।

Maharaja Digvijay Singh's Story

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महाराजा जाम साहब दिग्विजय सिंह

महाराजा जाम साहब दिग्विजयसिंह जी रणजीतसिंह जी भारतीय राजनीति में एक प्रमुख नेता थे जो गुजरात के राजा और कथित रूप से सौराष्ट्र के महाराजा थे। उन्हें गुजरात के जामनगर रियासत के अंतिम महाराजा के रूप में भी जाना जाता है।

नवानगर के महाराजा बने रहे

उनका जन्म 1895 में हुआ था और उनका निधन 1966 में हुआ था। उन्होंने गुजरात के विकास और सामाजिक सुधार के कई कार्यों में योगदान दिया। उनकी नेतृत्व में गुजरात में विकास के कई क्षेत्रों में प्रगति हुई। नवानगर के पूर्व महाराजा जाम साहब एक शानदार व्यक्तित्व थे। उन्होंने 1933 से 1984 तक नवानगर के महाराजा के रूप में कार्य किया।

लंदन से शिक्षित होकर लेफ्टिनेंट बने

उनके पितामह भारतीय क्रिकेट के एक महान खिलाड़ी और कप्तान रणजीत सिंह जी थे। इसलिए उनके संबंध महान खिलाड़ी क्रिकेटर सरदार रणजीत सिंह जी के साथ थे। उन्होंने लंदन से अपनी शिक्षा पूरी की और 1921 में ब्रिटिश सेना में शामिल हुए। उनकी प्रवीणता और कौशल के कारण उन्हें उन्नत उपाधियों की प्राप्ति हुई। वे एक प्रमुख लेफ्टिनेंट बन गए।

उनकी सेवा वर्षों की बाद 1929 में उन्हें कप्तान बनाया गया और फिर 1931 में वे सेना से सेवानिवृत्त हो गए। उनके चाचा के निधन के बाद, उन्होंने 1933 में नवानगर की गद्दी संभाली और महाराजा जाम साहब के रूप में उन्होंने अपने पितामह की वंशज श्रृंगार गद्दी को संभाला।

महाराजा दिग्विजय सिंह: पोलैंड के मसीहा

महाराजा दिग्विजय सिंह को पोलैंड में मसीहा के रूप में प्रशंसा की जाती है क्योंकि दूसरे विश्व युद्ध के समय उन्होंने पोलैंड के लोगों की मदद की थी। हिटलर द्वारा पोलैंड पर हमले के समय पोलैंड के सैनिकों ने अपने परिवार को जहाज में बैठाकर समुद्र में छोड़ दिया था। जब वह जहाज भटकते हुए गुजरात के जामनगर के तट पर पहुंचा तो महाराजा दिग्विजय सिंह ने पोलिश शरणार्थियों को शेल्टर प्रदान किया था।

पोलैंड में कई सड़के उनके नाम से

महाराजा दिग्विजय सिंह ने केवल हजारों पोलिश शरणार्थियों की मदद की बल्कि उनको अच्छा भविष्य भी दिया। उन्होंने इन शरणार्थियों का नौ सालों तक ख्याल रखा और उनके रहने, खाने, और शिक्षा का पूरा इंतजाम किया।

इन पोलिश शरणार्थियों में से एक बच्चा बाद में पोलैंड के प्रधानमंत्री बना जिसने महाराजा “जाम साहब दिग्विजय सिंह” को अमर किया। उनका योगदान इतना महत्वपूर्ण रहा कि पोलैंड की राजधानी ‘वारसा’ में कई सड़कों के नाम उनके नाम पर रखे गए हैं। उनके नाम पर कई योजनाएँ भी पोलैंड में संचालित हो रही हैं।

जाम साहब एक अद्वितीय याद

जाम साहब दिग्विजय सिंह हालांकि अब हमारे बीच में नहीं हैं लेकिन उनकी यादें और कार्य लोगों के दिलों में एक अद्वितीय महसूस के रूप में हमेशा जिंदा रहेंगे। उनका नाम और उनके सेवानिवृत्ति का विश्वास आज भी हमें प्रेरित करता है। उनके उपकार और समर्पण को सदैव याद रखा जाएगा और उनकी प्रेरणा हमें सदैव प्रेरित करती रहेगी।

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