पति को पत्नी से मिल रहा है हर महीने 5000 रुपये का मुआवजा, जानिए अमन की कहानी!

मध्य प्रदेश के इंदौर शहर की एक फैमिली कोर्ट ने हाल ही में एक ऐसा फैसला सुनाया, जिसने सबको चौंका दिया। आमतौर पर, अदालतों में देखा जाता है कि पत्नी के भरण-पोषण की जिम्मेदारी पति पर होती है। लेकिन इस मामले में, कोर्ट ने पत्नी को निर्देश दिया कि वह अपने पति को प्रतिमाह 5,000 रुपए का भरण-पोषण दे।

पति को पत्नी से मिल रहा है हर महीने 5000 रुपये का मुआवजा, जानिए अमन की कहानी!
पति को पत्नी से मिल रहा है हर महीने 5000 रुपये का मुआवजा, जानिए अमन की कहानी!

क्या था पूरा मामला

इंदौर की फैमिली कोर्ट में पेश इस मामले में, अमन (23) नामक युवक ने अपनी पत्नी नंदिनी (22) के खिलाफ भरण-पोषण के लिए गुहार लगाई। अमन ने अदालत को बताया कि शादी के बाद उसकी पत्नी के व्यवहार ने उसे पढ़ाई छोड़ने और बेरोजगार होने के लिए मजबूर किया। इतना ही नहीं, नंदिनी ने उसके साथ शारीरिक और मानसिक दुर्व्यवहार किया। अमन के अनुसार, नंदिनी का व्यवहार बहुत ही अपमानजनक था, और उसने उसे इतना परेशान किया कि उसे अपने माता-पिता के घर वापस जाना पड़ा। इसलिए, अमन ने नंदिनी से भरण-पोषण भत्ता प्राप्त करने की मांग की, ताकि वह अपने जीवन को पुनः पटरी पर ला सके।

अदालत का क्या निर्णय रहा ?

इस मामले की सुनवाई करते हुए, फैमिली कोर्ट ने हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 24 के तहत निर्णय दिया। इस धारा के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति अपने भरण-पोषण के लिए आवश्यक ख़र्चों को वहन करने में असमर्थ है, तो अदालत उसके पक्ष में भरण-पोषण भत्ते का आदेश दे सकती है। इस मामले में, कोर्ट ने नंदिनी को आदेश दिया कि वह अपने पति अमन को प्रति माह 5,000 रुपए का भरण-पोषण भत्ता दे।

दोनों ने अपनी मर्जी से शादी की

अमन और नंदिनी की कहानी 2020 में शुरू हुई जब वे एक सामान्य मित्र के माध्यम से मिले। कुछ समय बाद नंदिनी ने अमन को प्रपोज किया जिसके बाद जुलाई 2021 में, दोनों ने आर्य समाज मंदिर में एक सादे समारोह में विवाह के बंधन में बंधने का निर्णय लिया। इस विवाह समारोह ने उनके प्रेम को एक सामाजिक और धार्मिक मान्यता प्रदान की। विवाह के बाद, अमन और नंदिनी ने इंदौर में एक किराए के मकान में साथ रहना शुरू किया।

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हिंदू विवाह अधिनियम के नियम

हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 24 और 25, जो भरण-पोषण भत्ते और स्थायी गुजारा भत्ते से संबंधित हैं, इस मामले में महत्वपूर्ण रहे। इन प्रावधानों ने अदालत को उन व्यक्तियों के हक में निर्णय देने की शक्ति प्रदान की, जिन्होंने विवाह के बाद अपने साथी के कारण आर्थिक और व्यक्तिगत कठिनाइयों का सामना किया।

नंदानी का क्या कहना है ?

नंदिनी ने अपनी दलील में कोर्ट के सामने यह कहा कि वह अपने पति अमन को भरण-पोषण भत्ता देने में असमर्थ है क्योंकि वह खुद बेरोजगार है। उसने यह भी कहा कि वह किसी भी प्रकार का काम नहीं कर रही है और उसके पास खुद की कोई आय नहीं है। लेकिन अमन ने इस दलील के खिलाफ तर्क दिया कि जब उसने नंदिनी को छोड़ा था और अपने माता-पिता के पास चला गया था, तब नंदिनी ने पुलिस को बताया था कि वह एक ब्यूटी पार्लर चलाती है। इसके बावजूद, नंदिनी ने कोर्ट में यह कह कर अपना बचाव किया कि वह कोई काम नहीं कर रही है और उसके पास अपने पति को भत्ता देने के लिए कोई वित्तीय साधन नहीं है।

अमन को क्यों जाना पड़ा कोर्ट

पति, अमन को अदालत का रुख करने का निर्णय तब लेना पड़ा जब उसके और उसकी पत्नी नंदिनी के बीच संबंधों में गंभीर समस्याएँ उत्पन्न हो गईं। अमन ने अदालत में यह बताया कि नंदिनी के साथ शादी के बाद, उसके व्यवहार ने अमन को काफी परेशान किया। उसने कहा कि नंदिनी का व्यवहार उसके प्रति उचित नहीं था, और उसने उसे इतना परेशान किया कि अमन को अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी और वह बेरोजगार हो गया।

समाज को मिली एक नई सीख़

इस फैसले ने न केवल अमन को न्याय दिलाया, बल्कि यह भी संदेश दिया कि भरण-पोषण की जिम्मेदारी और अधिकार केवल लैंगिक आधार पर नहीं तय किए जा सकते। यह फैसला समाज में लैंगिक समानता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे विवाहित जोड़ों के बीच संतुलन और समझदारी बढ़ेगी।

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