Income Tax : टैक्स फ्री स्वर्ग: भारत का वो राज्य जहाँ लाखों-करोड़ों की कमाई पर भी टैक्स नहीं

Income Tax : आज हम आपको अपनी इस खबर में भारत के एक राज्य ऐसे राज्य के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां के 95% निवासियों को करोड़ों रुपये की कमाई पर भी एक धैला भी इनकम टैक्स के रूप में नहीं देना होता। यहां के मूल निवासियों को इनकम टैक्स से छूट आजादी के बाद से ही मिली हुई है।

Income Tax : टैक्स फ्री स्वर्ग: भारत का वो राज्य जहाँ लाखों-करोड़ों की कमाई पर भी टैक्स नहीं
Income Tax : टैक्स फ्री स्वर्ग: भारत का वो राज्य जहाँ लाखों-करोड़ों की कमाई पर भी टैक्स नहीं

न्‍यू टैक्‍स रिजीम में सात लाख तक की आय पर भारतीय नागरिकों को कोई इनकम टैक्‍स नहीं देना होता. लेकिन, भारत में एक राज्‍य ऐसा भी है, जहां के 95 फीसदी निवासियों को करोड़ों रुपये की कमाई पर भी एक धैला भी इनकम टैक्‍स के रूप में नहीं देना होता. यह राज्‍य है सिक्किम. यहां के मूल निवासियों को इनकम टैक्‍स से छूट (Sikkim Income Tax Exemption) आजादी के बाद से ही मिली हुई है.

हालांकि, अब देश में सिक्किम के लोगों को इनकम टैक्स देने से मिली छूट को बंद करने की मांग भी उठ रही है। कई लोगों का कहना है कि सिक्किम निवासियों को मिली इस छूट का दुरुपयोग इनकम टैक्स देने से बचने के लिए बाहरी लोग भी कर रहे हैं। कुछ लोग इसे भारत का टैक्स हैवन भी कहते हैं।

वास्तव में, पूर्वोत्तर के कई राज्यों को संविधान के आर्टिकल 371-एफ के तहत विशेष दर्जा मिला है। सिक्किम के मूल निवासियों को आयकर अधिनियम, 1961 के अनुच्छेद 10 (26एएए) के तहत इनकम टैक्स से छूट हासिल है। इसका मतलब है कि राज्य के लोगों को अपनी कमाई पर कोई टैक्स नहीं देना पड़ता है। सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद, सिक्किम की 95% आबादी को मूल निवासी माना जाता है।

पहले सिक्किम सब्जेक्ट सर्टिफिकेट रखने वालों और उनके वंशजों को ही मूल निवासी माना जाता था। इन्हें सिक्किम नागरिकता संशोधन आदेश, 1989 के अनुसार भारतीय नागरिक बनाया गया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में 26 अप्रैल 1975 (सिक्किम में भारत में विलय से एक दिन पहले) तक सिक्किम में रहनेवाले भारतीय मूल के लोगों को भी सिक्किम के मूल निवासी का दर्जा दे दिया है।

विलय की शर्तों में शामिल थी आयकर छूट-
सिक्किम, 1642 में स्थापित, एक अनोखा राज्य है जहाँ 1975 में भारत में विलय के बाद भी 95% लोग करों से मुक्त हैं। 1950 में भारत-सिक्किम शांति समझौते के बाद, सिक्किम भारत के संरक्षण में आ गया। 1948 में, सिक्किम के चोग्याल शासक ने सिक्किम इनकम टैक्स मैनुअल जारी किया, जिसमें राज्य के लोगों पर कर नहीं लगाने का प्रावधान था। भारत में विलय की शर्तों में भी कर छूट शामिल थी, जिसे भारत ने स्वीकार किया। भारतीय आयकर अधिनियम की धारा 10 (26एएए) में सिक्किम के मूल निवासियों को आयकर से छूट प्रदान की गई है।

उठ रही टैक्‍स फ्री दर्जा समाप्‍त करने की मांग-
सिक्किम के निवासियों को मिली आयकर छूट हमेशा से बहस का विषय रही है। कुछ लोग इस छूट को अन्यायपूर्ण मानते हैं और इसे समाप्त करने की मांग करते हैं। भाजपा नेता और एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय सिक्किम को कर स्वर्ग तक कहते हैं। वे दावा करते हैं कि इस छूट का दुरुपयोग होता है और इसका लाभ केवल अमीर लोगों को ही मिलता है।

आयकर छूट का गलत इस्तेमाल होने की खबरें भी सामने आती रहती हैं। कुछ लोग सिक्किम में फर्जी निवास प्रमाण पत्र प्राप्त करके करों से बचने का प्रयास करते हैं। सिक्किम के लोगों के नाम बड़ी मात्रा में डीमैट अकाउंट खोलने का मामला भी सामने आ चुका है, जिससे यह आशंका जताई जाती है कि इस छूट का इस्तेमाल काला धन जमा करने के लिए भी किया जा रहा है।

दूसरी ओर, सिक्किम के लोग इस छूट को अपना अधिकार मानते हैं। वे तर्क देते हैं कि यह छूट राज्य के विकास के लिए आवश्यक है। वे यह भी कहते हैं कि इस छूट के कारण सिक्किम में जीवन स्तर बेहतर हुआ है और गरीबी कम हुई है। यह बहस आने वाले समय में भी जारी रहने की संभावना है।

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