यदि आपकी प्रॉपर्टी पर अवैध रूप से किसी ने कब्जा कर लिया है, तो आपको इसे वापस पाने के लिए अदालत की शरण में जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में पूना राम बनाम मोती राम मामले में यह स्पष्ट किया है कि यदि कोई प्रॉपर्टी पर अवैध रूप से कब्जा करता है, तो संपत्ति के मालिक को यह अधिकार है कि वह स्वयं ही कब्जा हटवा सकता है, बशर्ते संपत्ति उसके नाम पर हो।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश
इस निर्णय में यह भी कहा गया है कि यदि प्रॉपर्टी के मालिक के पास प्रॉपर्टी का टाइटल है, तो वह 12 साल के बाद भी प्रॉपर्टी से अवैध कब्जा हटा सकता है और इसके लिए कोर्ट में मुकदमा दायर करने की आवश्यकता नहीं है। हालांकि, यदि प्रॉपर्टी का टाइटल आपके पास नहीं है और कब्जे को 12 साल हो चुके हैं, तो आपको अपने अधिकारों के लिए कोर्ट में जाना पड़ेगा। इस संबंध में स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट 1963 की धारा 5 में प्रावधान किया गया है।
इस एक्ट की धारा 5 के अनुसार, यदि प्रॉपर्टी आपके नाम है और किसी ने उस पर अवैध कब्जा कर लिया है, तो आप सिविल प्रक्रिया संहिता के अनुसार मुकदमा दायर कर सकते हैं।
क्या था मामला
पूना राम बनाम मोती राम का मामला राजस्थान के बाड़मेर से जुड़ा था, जहाँ पूना राम ने 1966 में एक जागीरदार से जमीन खरीदी थी। जब मालिकाना हक का प्रश्न उठा, तो पता चला कि मोती राम नामक व्यक्ति ने इस जमीन पर कब्जा कर रखा है, हालांकि उसके पास जमीन के कोई वैध दस्तावेज नहीं थे। इसके बाद पूना राम ने कब्जा वापस पाने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया। मामले में न्यायालय ने पूना राम के पक्ष में फैसला सुनाया, लेकिन मोती राम ने इसे उच्च न्यायालय में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने अंततः पूना राम के पक्ष में फैसला सुनाया, यह दर्शाते हुए कि प्रॉपर्टी का मालिकाना हक रखने वाला व्यक्ति उसे कब्जे से मुक्त करा सकता है।
कोर्ट ऑर्डर देखें
Judgement 29 Jan 2019 by Anonymous SeNMZf28LQ
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