Ideas of India Summit 2024 में एक दिलचस्प बहस हुई, जिसमें 21 दिन में अंग्रेजी सीखने की संभावना पर विचार किया गया। इस बहस में शिक्षाविदों, भाषा विशेषज्ञों और नीति निर्माताओं ने भाग लिया।
भारत में इंग्लिश भाषा को अक्सर एक उच्च वर्गीय संकेत के रूप में देखा जाता है। केडी कैम्पस की संस्थापक नीतू सिंह और दिल्ली विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर विजेंद्र सिंह चौहान ने सम्मेलन में इस विषय पर अपने विचार साझा किए। उनका मानना था कि इंग्लिश को केवल एक संवाद की भाषा के रूप में देखना चाहिए और इसे एक हौव्वा के रूप में नहीं।
क्या 21 दिन में इंग्लिश सिख सकते है ?
नीतू सिंह ने 21 दिनों में इंग्लिश सीखने के दावों की सच्चाई को भी उजागर किया। उन्होंने बताया कि भाषा सीखने में समय लगता है और यह एक रात में नहीं हो सकता। उनके अनुसार, गंभीर प्रयास और सही मार्गदर्शन के साथ, इंग्लिश को समझना और बोलना संभव है। अगर आप वास्तव में इंग्लिश सीखना चाहते हैं, तो नियमित अभ्यास और लंबे समय तक लगन से पढ़ाई करनी होगी।
क्या कहना है प्रोफेसर विजेंद्र सिंह का ?
प्रोफेसर विजेंद्र सिंह का कहना है कि इंग्लिश भाषा का महत्व समय के साथ बढ़ा है और इसे अक्सर एक उच्च वर्गीय भाषा के रूप में देखा जाता है, जो सामाजिक विभाजन का एक औजार बन चुकी है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर सभी लोग इंग्लिश बोलने लगेंगे, तो सत्ताधारी वर्ग कुछ नई भाषा की मांग कर सकते हैं, क्योंकि उन्हें हमेशा भीड़ से अलग खड़ा होने की आदत होती है। उनका मानना है कि भाषा अक्सर समाज में विभिन्न स्तरों पर विभाजन का कारण बनती है।
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Competitive Exams में जरुरी है इंग्लिश
नीतू सिंह, जो कि केडी कैम्पस की फाउंडर और एक शिक्षक हैं, ने बताया कि इंग्लिश भाषा का ज्ञान विभिन्न प्रकार के कांपटीटिव एग्जाम्स में बहुत मददगार साबित होता है। उन्होंने कहा कि ज्यादातर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में इंग्लिश न्यूजपेपर और मैटेरियल का उपयोग होता है।
इसके अलावा, अधिकांश उच्च स्तरीय और गुणवत्तापूर्ण शिक्षण सामग्री भी इंग्लिश में उपलब्ध होती है। इसलिए, इंग्लिश का ज्ञान न केवल आपको विभिन्न परीक्षाओं में अच्छे अंक प्राप्त करने में मदद कर सकता है बल्कि यह ज्ञान और जानकारी के विस्तार में भी योगदान देता है।
किसी भी भाषा को बच्चों पर ना थोपे
नीतू सिंह ने बल दिया कि अगर हम वैश्विक मंच पर भारत की उपस्थिति को महत्वपूर्ण बनाना चाहते हैं, तो हमें हिंदी के साथ-साथ अंग्रेजी का ज्ञान भी होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि केवल 21 या 45 दिनों में अंग्रेजी सीख लेने के दावे वास्तविकता से दूर हैं। किसी भी भाषा को सीखने में समय और धैर्य की जरूरत होती है। अगर कोई व्यक्ति पूरी लगन और मेहनत से इस पर काम करे, तो संभव है कि 20-30 दिनों में उसे अंग्रेजी की अच्छी समझ हो जाए।
English का महत्व
भारत एक ऐसा देश है जहाँ भाषाई विविधता अपने चरम पर है। यहाँ कई राज्यों, समुदायों, और संस्कृतियों में विभिन्न भाषाएँ बोली जाती हैं। इस विविधता के बीच, इंग्लिश एक महत्वपूर्ण संपर्क भाषा के रूप में उभरी है, जो विभिन्न भाषाई और सांस्कृतिक समूहों के बीच संवाद को सुगम बनाती है।
इंग्लिश का महत्व सिर्फ राष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी है। वैश्विकीकरण और इंटरनेट के युग में, इंग्लिश ज्ञान व्यक्तियों को वैश्विक मंच पर अपनी बात रखने, जानकारी प्राप्त करने, और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं और कंपनियों के साथ संवाद स्थापित करने का अवसर प्रदान करता है।
इसके अलावा, शिक्षा और करियर के क्षेत्र में भी इंग्लिश का विशेष स्थान है। अधिकांश उच्च शिक्षा संस्थानों और पेशेवर क्षेत्रों में इंग्लिश की मांग होती है। इंग्लिश में दक्षता व्यक्तियों के लिए अधिक अवसर और बेहतर करियर संभावनाओं का द्वार खोलती है।
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