मौसम का पूर्वानुमान: हवा से वैज्ञानिक कैसे जानते हैं कब होगी बारिश?

Weather Forecasting In India: मौसम के पूर्वानुमान लगाने को विज्ञान की एक अहम ब्रांच का दर्जा मिला है इसमें किसी जगह के वायुमंडलीय स्थितियों की वैज्ञानिक भविष्यवाणी करते है। इससे करोड़ों-अरबों रूपए की देश की संपत्ति की हानि रुकती है और लोगो की जाने भी बच जाती है।

भारत में मौसम के पूर्वानुमान पर किसान सहित सभी लोगो की निगाहे रहती है। चूंकि देश की आधी से भी ज्यादा जनसंख्या का काम खेती से जुड़ा है। भारत की 56% जमीन वर्षा के जल से सिचती है और कृषि का लगभग 80% जल मॉनसून से ही आता है।

Weather Forecasting In India

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देश ही में जरूरी मौसम विज्ञान

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग मौसम की जानकारी देकर आपदा प्रबंधन में और भी प्रभावी और तेजी से कदम उठाने की क्षमता में वृद्धि कर रहा है। समुद्री चक्रवातों और तूफानों की सही भविष्यवाणी से नागरिकों को समय पर चेतावनी मिलने से जीवन और संपत्ति की सुरक्षा में महत्वपूर्ण सुधार हो रहा है।

बारिश की आहट के कुछ ही देर बाद वायुमंडल में अचानक बदलाव हो जाता है और बारिश हो जाती है। ऐसे में अक्सर हम सोचते हैं कि आखिर मौसम विभाग को आने वाले मौसम की सटिक जानकारी कैसे मिलती है। आइए आज यह रहस्य खोलें।

मौसम विभाग का अनुसंधान

मौसम विभाग बहुत से आंकड़े तैयार करता हैं जिसमें अभी की दशा को पुरानी दशाओं से जोड़ते है। ये आंकड़े मौसम की स्थिति को विश्लेषित करते हैं और भविष्यवाणी होती है कि अभी की स्थिति भी पुरानी की भांति ही बर्ताव करेगी।

मौसम विभाग द्वारा उपयोग किए जाने वाले विभिन्न तकनीकी उपकरणों और उपयोगकर्ताओं की एक संख्या होती है जो विभिन्न परिस्थितियों का अनुमान लगाने में मदद करती हैं। इन आंकड़ों का उपयोग करके मौसम विशेषज्ञ विभिन्न दृश्यों का विश्लेषण करते हैं और मौसम के परिवर्तनों की संभावित दिशा का अनुमान लगाते हैं।

मौसम के अनुमान की वैज्ञानिक विधियां

मौसम का पूर्वानुमान करने के लिए विभिन्न वैज्ञानिक विधियाँ अपनाई जाती हैं। इनमें सांख्यिकीय विधि या स्टैटिकल विधि एक महत्वपूर्ण रोल निभाती है जिसमें हवा में अलग-अलग पैरामीटर्स जैसे कि तापमान, हवा की रफ्तार आदि को गणितीय गणना से मौसम के परिवर्तनों का अनुमान लगाते है।

दूसरी भी प्रक्रिया हा जिसमे रडार से भी मौसम के अनुमान लगाने का काम होता है। इसमें आकाश में रडार छोड़ा जाता है जिससे विभिन्न क्षेत्रों में बारिश या बर्फबारी के आसार होने का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है।

मौसम के पूर्वानुमान का इतिहास

भारत में मौसम के पूर्वानुमान लगाने का इतिहास 3000 ईसा पूर्व से शुरू होता है। प्राचीन भारतीय ग्रंथों में मौसम के बारे में कई भविष्यवाणियां मिलती हैं। इन भविष्यवाणियों को ज्योतिष और ग्रहों की चाल से करते थे। वैज्ञानिक तरीके से पूर्वानुमान की शुरुआत 17वीं शताब्दी में थर्मामीटर और बैरोमीटर की आने से होने लगी। 1686 में ब्रिटिश वैज्ञानिक एडमंड हैली ने भारत के मॉनसून पर एक थ्योरी भी बनाई।

आज मौसम का पूर्वानुमान लगाने के लिए कई तरह के उपकरणों और तकनीकों का उपयोग किया जाता है। इनमें उपग्रह, रडार, और सुपर कंप्यूटर शामिल हैं।

इस तरह, मौसम विभाग द्वारा किए जाने वाले अनुसंधान से, मौसम के अनुमानित परिवर्तनों की सटीकता बढ़ाते हैं, जिससे लोगों को आगामी प्राकृतिक घटनाओं के लिए तैयार रहने में मदद मिलती है।

टॉपिक: मौसम का पूर्वानुमान, Weather Forecasting In India

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