अमरूद की खेती पर सरकार दे रही 50% अनुदान: कैसे पाएं इसका फायदा, यहां जानें

खेती की परंपरागत विधियों से हटकर कुछ नया और लाभदायक तलाश रहे हैं? जो न केवल लाभदायक हो, बल्कि नवीनता से भरपूर भी? तो आपका उत्तर है – अमरूद की खेती। अमरूद की खेती न सिर्फ कम लागत में संभव है बल्कि इससे अच्छा मुनाफ़ा भी कमाया जा सकता है।

जिला उद्यान अधिकारी संदीप गुप्ता/मऊ: ने इस विषय में बताया कि अमरूद की बागवानी का सर्वोत्तम समय जुलाई से सितंबर तक होता है, क्योंकि इस दौरान नमी की मात्रा अधिक होती है जो पौधों के विकास के लिए अनुकूल होती है। हालांकि, यदि आपके पास उचित सिंचाई की व्यवस्था है, तो फरवरी से अप्रैल के बीच भी अमरूद की खेती की जा सकती है।

अमरूद की खेती पर सरकार दे रही 50% अनुदान: कैसे पाएं इसका फायदा, यहां जानें
अमरूद की खेती

अमरूद के पौधे कैसे लगाएं?

अमरूद की बागवानी के लिए पहला कदम है गड्ढे खोदना। प्रत्येक गड्ढा डेढ़ फीट लंबा, चौड़ा और गहरा होना चाहिए। इस मिट्टी में कंपोस्ट मिलाने के बाद, पौधे लगाए जाते हैं। दो पौधों के बीच कम से कम 6 फीट की दूरी आवश्यक है, ताकि मशीनों के उपयोग में आसानी हो। हालांकि, सघन खेती में यह दूरी 3 फीट तक सीमित की जा सकती है, जिससे हाथों से काम करना संभव हो जाता है।

सरकारी अनुदान की जानकारी

इस क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए, सरकार किसानों को अमरूद की बागवानी के लिए 50% का अनुदान प्रदान कर रही है। इसके अलावा, किसानों को खाद और पौधे भी मुहैया कराए जाते हैं। यह अनुदान उन किसानों के लिए है जिनके पास कम से कम 16 बिस्वा जमीन है।

योजना का लाभ कैसे उठाएं?

इस योजना का लाभ लेने के लिए, किसानों को उद्यान विभाग की वेबसाइट पर जाकर रजिस्ट्रेशन करना होगा। इस प्रक्रिया में खेत की खतौनी, आधार कार्ड, बैंक पासबुक की कॉपी और दो फोटो आवश्यक हैं। अमरूद की खेती से किसान सालाना लगभग 4 लाख रुपए का मुनाफ़ा कमा सकते हैं।

इस प्रकार, अमरूद की खेती न केवल एक आर्थिक रूप से लाभकारी विकल्प है, बल्कि यह कृषि क्षेत्र में नवाचार और विविधता लाने का एक शानदार माध्यम भी है। सरकारी अनुदान और सहायता से यह और भी आकर्षक हो जाता है, जिससे किसानों को नए अवसरों का लाभ उठाने में सहायता मिलती है।

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