Sinauli Excavation Revealed: उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के सिनौली गांव में खुदाई के दौरान कई महत्वपूर्ण ऐतिहासिक अवशेष मिले हैं। इनमें सिंधु घाटी सभ्यता (CVS) के समय के बर्तन, मूर्तियां, मकान और कब्रें शामिल हैं। यह खोज भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
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सिनौली गांव की शानदार वस्तुएँ
सिनौली गांव जो उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में स्थित है 2005 से ही ASI के लिए एक महत्वपूर्ण खुदाई स्थल रहा है। 2005 में ग्रामीण प्रभाष शर्मा ने ASI को गांव में कुछ प्राचीन वस्तुओं के बारे में बताया। ASI की टीम ने खुदाई शुरू की और 106 मानव कंकालों की खोज की जिनकी कार्बन डेटिंग 3,000 साल से भी अधिक पुरानी थी।
2017 में खुदाई फिर से शुरू हुई और ASI को कई और महत्वपूर्ण वस्तुएं मिलीं। 2018 में तीसरे चरण की खुदाई में ASI को सबसे बड़ी सफलता मिली जिसमें उन्हें कई शानदार वस्तुएं मिलीं। खुदाई से पता चला कि सिनौली की जमीन में कई सभ्यताएं दफन हैं।
खुदाई में मिली वस्तुएँ
सिनौली की खुदाई में एक शाही कब्रगाह में आठ कब्रों में से तीन खाट के आकार वाले ताबूत पाए गए हैं। इन ताबूतों के साथ हथियार, ऐशो-आराम की चीजें, बर्तन और पशु-पक्षियों के कंकाल भी मिले। इस कब्रगाह में शवों के साथ दफनाए गए तीन रथ भी खोजे गए हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि सिनौली में विद्यमान संदर्भ में भारत की 4,000 साल से भी अधिक पुरानी विकसित संस्कृति को प्रकट करते हैं। जैसे मेसोपोटामिया और अन्य प्राचीन संस्कृतियों में 2000 ईसा पूर्व की खोज हुई थी ठीक उसी प्रकार सिनौली में भी ऐसी ही चीजें मिली हैं।
मैक्समुलर थ्योरी को चुनौती
आर्कियोलॉजिस्ट और इतिहासविद कौशल किशोर शर्मा ने बताया कि इन प्राचीन खजानों में मिले वस्तुओं की विशेषता यह है कि ये अद्वितीय हैं और भारत के किसी भी अन्य उत्खनन स्थल से मिलने वाली नहीं हैं।
यह सिनौली की संस्कृति और इतिहास को नए दृष्टिकोण से देखने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है। विशेषज्ञों का मानना है कि ये प्रमाण आर्यों के आक्रमण के संबंध में वर्तमान मैक्समुलर थ्योरी को भी चुनौती दे सकते हैं।
ताम्बे से बने योद्धा कवच मिले
ASI को कब्रगाह की खुदाई के दौरान एक योद्धा की कब्र भी मिली। इस कब्र में कंकाल के एंटीना तलवार, ढाल, रथ और कई दूसरी चीजें मिलीं जिनसे पता चला कि ये कब्र किसी योद्धा की है। खुदाई में एक महत्वपूर्ण जानकारी मिली कि भारतीय महिलाएं भी योद्धा होती थीं। इससे पहले की सभी संस्कृतियों के लिए यह बात स्पष्ट नहीं थी।
भारत में घोड़े का इस्तेमाल होता था?
पुरातत्वविद संजय मंजुल के अनुसार अब तक की सारी संदर्भों में यह माना जाता था कि भारत में घोड़े बाहर से लाए गए थे। लेकिन सिनौली की खुदाई में कांस्य युग के रथ मिले हैं जिन्हें चलाने के लिए किसी जानवर की जरूरत होती है।
रथ की बनावट को देखते हुए शुरुआती समझ घोड़े की ओर इशारा कर रही है। इसमें बिना तीलियों वाले ठोस पहिये हैं और पहियों पर कांसे की परत का काम भी किया गया है। रथ के सवार के लिए मुकुट भी मिला है।ताम्रपाषाण काल में घोड़े के साक्ष्य भी मिले हैं।
महाभारत काल की डेटिंग में मदद होगी
सिनौली का यह स्थल महाभारत काल से जुड़ा हो सकता है। यह खोज महाभारत काल की डेटिंग को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेगी। ASI ने सिनौली गांव में 40 किसानों की 28 हेक्टेयर भूमि को राष्ट्रीय स्मारक क्षेत्र घोषित कर दिया है। यह क्षेत्र अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के संरक्षण में होगा।
यहाँ एक महत्वपूर्ण बिंदु है कि इन प्राचीन खजानों को लाल किला तक पहुंचाया जा रहा है जिससे इनका महत्व और भी बढ़ जाता है।
टॉपिक: Sinauli Excavation Revealed, ASI सिनौली खुदाई, सिनौली महाभारत काल
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