शादी में दूल्हे के लिए क्लीन शेव अनिवार्य, जानिए इस समाज का अजीबोगरीब नियम

राजस्थान के टोंक जिले में धाकड़ समाज ने एक नवाचारी कदम उठाते हुए शादी-विवाह के अपने नियमों में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। इसका मुख्य उद्देश्य शादी समारोहों में होने वाले अनावश्यक खर्चों को कम करना और एक साधारण लेकिन सार्थक समारोह की ओर बढ़ना है। यह निर्णय धाकड़ समाज की ओर से आदर्श समाज निर्माण की दिशा में उठाया गया एक कदम है।

शादी में दूल्हे के लिए क्लीन शेव अनिवार्य, जानिए इस समाज का अजीबोगरीब नियम
शादी में दूल्हे के लिए क्लीन शेव अनिवार्य, जानिए इस समाज का अजीबोगरीब नियम

शादी में दूल्हे को करनी होगी क्लीन शेव

समाज ने प्री वेडिंग शूट, फोटो गैलरी प्रदर्शन, दाढ़ी बनवाने पर रोक लगा दी है। इसके अलावा, सोना और चांदी की प्रथा और टीका रस्म को भी बंद किया गया है। इन बदलावों का मुख्य उद्देश्य फिजूलखर्ची को रोकना और समाज में सादगी को बढ़ावा देना है।

दूल्हे की दाढ़ी पर प्रतिबंध

आधुनिक समय में दूल्हे का दाढ़ी रखना एक फैशन स्टेटमेंट बन गया है। लेकिन धाकड़ समाज ने यह निर्णय लिया है कि शादी के दिन दूल्हे को क्लीन शेव होकर आना चाहिए। यह निर्णय समाज में सादगी को बढ़ावा देने और पारंपरिक मूल्यों को संरक्षित करने की दिशा में उठाया गया कदम है।

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शादी समारोह में फिजूलखर्ची पर लगाई रोक

शादी समारोहों में होने वाली फिजूलखर्ची पर लगाम लगाने के लिए समाज ने कई अहम निर्णय लिए हैं। प्री वेडिंग शूट और फोटो गैलरी प्रदर्शन पर पूरी तरह रोक लगाई गई है। इसके अलावा, मृत्यु पर तीजे के भोज पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। विवाह में सोने-चांदी के जेवर और टीका प्रथा को बंद करने का निर्णय भी समाज की बैठक में लिया गया है।

समाज में नियमों का पालन करने के लिए मॉनिटरिंग शुरू

समाज ने इन निर्णयों की पालना सुनिश्चित करने के लिए एक मॉनिटरिंग प्रणाली भी स्थापित की है। इसके लिए विभिन्न क्षेत्रों में प्रभारी नियुक्त किए गए हैं, जो इन नियमों का पालन सुनिश्चित करने और उनके क्रियान्वयन की निगरानी करेंगे।

सामूहिक विवाह सम्मेलन

समाज ने सामूहिक विवाह सम्मेलन के आयोजन को लेकर भी चर्चा की। यह चर्चा समाज में एकता और सहयोग की भावना को मजबूत करने के लिए की गई थी। सामूहिक विवाह सम्मेलन से न केवल शादी के खर्च में कमी आएगी बल्कि यह समाज को और भी अधिक एकजुट भी करेगा।

धाकड़ समाज के ये निर्णय न केवल शादी-विवाह में फिजूलखर्ची को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं बल्कि यह समाज में सादगी, पारंपरिक मूल्यों और एकता को भी बढ़ावा देते हैं। ये निर्णय समाज में एक नई सोच और आदर्शों की नींव रखने की दिशा में एक सकारात्मक कदम हैं।

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