गौहाटी हाई कोर्ट ने हाल ही में अपने एक आदेश के माध्यम से स्पष्ट किया कि न्यायालय परिसर में जींस पहनना अनुचित है। हाल ही में एक वकील को जींस पहनकर अदालत में आने पर फटकार लगाई। न्यायाधीश ने कहा कि अगर जींस की अनुमति दी जाती है तो कल कोई पायजामा पहनकर आ जाएगा।
यह घटना 26 जनवरी 2023 को हुई, जब वकील बिजन कुमार महाजन एक मामले की सुनवाई के लिए जींस पहनकर अदालत में पेश हुए। न्यायाधीश ने उन्हें देखकर कहा, “यह क्या है? आप जींस पहनकर अदालत में क्यों आए हैं?”
वकील की दलील और कोर्ट का निर्णय
वकील बिजन कुमार महाजन ने अपने आचरण को सही ठहराते हुए तर्क दिया कि गौहाटी हाई कोर्ट के नियमों में जींस पहनने को स्पष्ट रूप से प्रतिबंधित नहीं किया गया है। हालांकि, कोर्ट ने उनके आवेदन को खारिज करते हुए कहा कि अगर जींस पहनने की अनुमति दी जाती है, तो यह भविष्य में अधिक विवादित परिधानों के पहनने की मांग को जन्म दे सकता है।
ड्रेस कोड का महत्व
न्यायालयीन परिधान संहिता का पालन न्यायिक प्रक्रिया की गरिमा और औपचारिकता को बनाए रखने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस संहिता का उद्देश्य अदालत के समक्ष एक औपचारिक और सम्मानजनक वातावरण सुनिश्चित करना है। जस्टिस कल्याण राय सुराणा ने इस मामले में उल्लेख किया कि प्रत्येक पीठासीन न्यायाधीश के पास अपने कोर्टरूम के भीतर वकीलों के ड्रेस कोड का पालन सुनिश्चित करने का अधिकार है।
भविष्य के लिए सबक़
इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि न्यायालय में पेश होते समय वकीलों और अन्य पेशेवरों द्वारा उचित परिधान का चयन करना आवश्यक है। यह न केवल न्यायिक प्रक्रिया की गंभीरता को दर्शाता है बल्कि न्यायालय के प्रति सम्मान की भावना को भी प्रकट करता है। अदालतों में ड्रेस कोड का पालन और इसके नियमों के प्रति जागरूकता अत्यंत महत्वपूर्ण है, जिससे भविष्य में इस प्रकार की अनुचित स्थितियों से बचा जा सके।
निष्कर्ष
अदालत में जींस पहनकर आने पर वकील को फटकार लगाई गई। न्यायाधीश का कहना है कि जींस औपचारिक पोशाक नहीं है। वकील का कहना है कि उन्हें अदालत से नहीं हटाया जा सकता था। यह मामला वकीलों के लिए ड्रेस कोड, वकीलों के अधिकारों, और न्यायालय की शक्तियों को लेकर महत्वपूर्ण है।
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