देश के इन 2 एक्सप्रेसवे की सड़के बनेगी एक खास चीज से

Road from Garbage: दिल्ली में कचरे का एक बहुत बड़ा पहाड़ है। यह पहाड़ गाजीपुर लैंडफिल साइट पर स्थित है जो दिल्ली से लगभग 20 किलोमीटर दूर है। यह लैंडफिल साइट 1984 से दिल्ली के कचरे को इकट्ठा करने के लिए इस्तेमाल की जा रही है।

Road from Garbage in Delhi

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कचरे से बनी होगी दो एक्सप्रेसवे सड़के

दिल्ली में जल्द ही दो एक्सप्रेसवे बनने वाले हैं जो कचरे से बने होंगे। इन एक्सप्रेसवे को बनाने के लिए कचरे को पीसकर बारीक कणों में बदल दिया जाता है और फिर इसका उपयोग सड़कों के निर्माण में किया जाता है। यह तकनीक “वेस्ट-टू-एस्फाल्ट” के नाम से जानी जाती है।

ये है कचरे से निर्मित एक्सप्रेसवे

पूर्वी दिल्ली एक्सप्रेसवे

यह एक्सप्रेसवे 14.8 किलोमीटर लंबा होगा और यह दिल्ली के पूर्वी भाग को जोड़ेगा। यह एक्सप्रेसवे 6 लेन चौड़ा होगा और इसे 2023 के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है।

दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे

यह एक्सप्रेसवे 82 किलोमीटर लंबा होगा और यह दिल्ली को मेरठ से जोड़ेगा। यह एक्सप्रेसवे 14 लेन चौड़ा होगा और इसे 2024 के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है।

वेस्ट-टू-एस्फाल्ट तकनीक के फायदे

वेस्ट-टू-एस्फाल्ट तकनीक कचरे को कम करने में मदद करती है। दिल्ली में हर साल लगभग 18,000 टन कचरा पैदा होता है। वेस्ट-टू-एस्फाल्ट तकनीक का उपयोग करके इस कचरे का उपयोग सड़कों के निर्माण में किया जा सकता है। वेस्ट-टू-एस्फाल्ट तकनीक से बनी सड़कें सामान्य सड़कों के मुकाबले ज्यादा मजबूत होती हैं।

ऐसा इसलिए है क्योंकि कचरे में मौजूद प्लास्टिक सड़कों को मजबूत बनाने में मदद करता है। वेस्ट-टू-एस्फाल्ट तकनीक का उपयोग करके ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने में मदद मिल सकती है चूँकि इसमें कचरे को जलाने की आवश्यकता नहीं होती है।

दिल्ली के लोगों को कम समय में एयरपोर्ट और दिल्ली मुंबई एक्सप्रेसवे तक पहुंचाने के लिए दो सड़कों का निर्माण किया जा रहा है।

कचरे से निर्मित सड़को के डिटेल्स

  • पहली सड़क (अर्बन एक्सटेंशन रोड 2 – UER 2) – यह सड़क 75.71 किलोमीटर लंबी होगी और यह उत्तरी दिल्ली के अलीपुर से महिपालपुर तक फैली होगी। यह सड़क 6 लेन चौड़ी होगी।
  • दूसरी सड़क (डीएनडी से मुंबई एक्सप्रेसवे से कनेक्शन) – यह सड़क 26 किलोमीटर लंबी होगी और यह दिल्ली के द्वारका से मुंबई एक्सप्रेसवे से जुड़ेगी। यह सड़क 8 लेन चौड़ी होगी और इसे 2024 के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है।

इन सड़कों में कचरे का इस्तेमाल

यूईआर 2 सड़क के निर्माण में 25 टन कचरे का इस्तेमाल किया गया है और डीएनडी से मुंबई एक्सप्रेसवे से कनेक्शन की सड़क के निर्माण में भी 25 टन कचरे का ही इस्तेमाल हुआ है। इस तरह से ये दोनो सड़के कुल 50 टन कचरे से बनी है।

इन सड़कों के बनने से दिल्ली में यातायात की भीड़ कम होगी और लोगों का समय बचेगा। इसके अलावा, यह लोगों के लिए एयरपोर्ट और दिल्ली मुंबई एक्सप्रेसवे तक पहुंचना आसान बना देगा।

टॉपिक: Road from Garbage, कचरे से एक्स्प्रेसवे

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