आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको हरित क्रांति क्या है ? इसके बारे में बताने जा रहें है। जानकारी के लिए बता दें हरित क्रांति का सम्बन्ध कृषि क्षेत्र में उत्पादन तकनीक के सुधार एवं कृषि उत्पादकता में वृद्धि करने से है। मुख्य तौर पर हरित क्रांति देश में कृषि उत्पादन को बढ़ाने के लिए लागू की गई एक नीति थी। इसके तहत अनाज उगाने के लिए प्रयुक्त पारम्परिक बीजो के स्थान पर उन्नत किस्म के बीजो के के प्रयोग को बढ़ावा दिया गया।
यहाँ हम आपको बतायेंगे हरित क्रांति क्या है ? भारत में हरित क्रांति के जनक कौन है ? इन सभी के विषय में हम आपको विस्तारपूर्वक जानकारी देंगे। Green Revolution Explained in Hindi सम्बंधित अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए इस लेख को ध्यानपूर्वक अंत तक पढ़िए –

हरित क्रांति क्या है ?
हरित क्रांति कृषि उत्पादन में आश्चर्यजनक तथा अभूतपूर्व प्रगति की द्योतक है। जानकारी के लिए बता दें सन 1950-60 के मध्य कृषि क्षेत्र में हुए शोध, विकास, तकनीकी परिवर्तन एवं अन्य कदमो की श्रृंखला को संदर्भित करता है। जिसके परिणामस्वरूप सम्पूर्ण विश्व में कृषि उत्पादन में वृद्धि हुई। इसने हरित क्रान्ति के पिता कहे जाने वाले नौरमन बोरलोग के नेतृत्व में सम्पूर्ण विश्व तथा खासकर विकासशील देशो को खाद्यान उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाया।
तैबान में भी इसी प्रकार की वृद्धि हुई। तीसरी दुनिया के देश विशेषतः चीन, पाकिस्तान भारत आदि हरित क्रान्ति लाने तथा उससे लाभ उठाने का प्रयत्न किया जा रहा है। इन्हें काफी हद तक सफलता भी प्राप्त हुई है। हरित क्रान्ति का परिभाषिक शब्द के रूप में सर्वप्रथम प्रयोग 1967 में पूर्व संयुक्त राज्य अंतर्राष्टीय विकास एजेंसी के निदेशक विलियम गौड़ द्वारा किया गया था। जिन्होंने इस नई तकनीक के प्रभाव को चिन्हित किया।
हरित क्रान्ति से अभिप्राय देश सिंचित एवं असिंचित कृषि क्षेत्रों में देने वाले संकर तथा बौने बीजो के उपयोग से फसल उत्पादन में वृद्धि करना है। हरित क्रान्ति भारतीय कृषि में लागू की गई उस विकास विधि का परिणाम है, जो 1960 के दशक में पारम्परिक कृषि को को आधुनिक तकनिकी द्वारा प्रतिस्थापित किये जाने के रूप में सामने आई।
क्योंकि कृषि क्षेत्र में यह तकनिकी एकाएक आई और तेजी से इसका विकास हुआ और थोड़े ही समय में इससे इतने आश्चर्य जनक परिणाम निकले कि देश के योजनाकारों, कृषि विशेषज्ञों तथा राजनीतिज्ञों ने इस प्रत्याशित प्रगति को ही हरित क्रांति की संज्ञा प्रदान कर दी। इसे हरित क्रान्ति की संज्ञा इसलिए भी दी गई, क्योंकि इसके फलस्वरूप भारतीय कृषि निर्वाह स्तर से ऊपर उठकर आधिक्य स्तर पर आ चुकी थी।
Green Revolution 2023 Highlights
उम्मीदवार ध्यान दें यहाँ हम आपको हरित क्रांति क्या है ? से सम्बंधित जानकारी देने जा रहें है। इन जानकारियों को आप नीचे दी गई सारणी के माध्यम से प्राप्त कर सकते है। ये सारणी निम्न प्रकार है –
आर्टिकल का नाम | हरित क्रांति क्या है ? |
साल | 2023 |
टॉपिक | हरित क्रान्ति |
शुरुआत | सन 1966-1967 |
जनक | एस.स्वामीनाथन |
भारत में हरित क्रांति
भारत में सन 1966 से खरीफ मौसम में नई कृषि नीति अपनाई गई। जिसे अधिक उपज देने वाली किस्मो का कार्यक्रम के नाम से जाना जाता है। हालांकि सन 1967-68 में खाद्यान्नों के उत्पादन में सन 1966-67 की तुलना में लगभग 25 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यह वृद्धि इससे पहले के योजनाकाल के 16 सालो में होने वाले बदलाव की अपेक्षा अत्यधिक तेज थी। अत्यधिक वृद्धि का होना वास्तव में एक एक क्रान्ति के समान था।

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भारत में हरित क्रांति के जनक
जानकारी के लिए बता दें भारत में हरित क्रांति की शुरुआत सन 1967-1968 में प्रारम्भ करने का श्रेय नोबल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर नारमन बोरलॉग को जाता है। हालांकि भारत में हरित क्रांति का जनक एम.एस. स्वामीनाथन को माना जाता है। हरित क्रांति से ही भारतीय कृषि में तेजी से वृद्धि हुई है। साथ ही कृषि की उत्पादकता बढ़ने से भारतीय कृषि और अधिक उन्नत हुई है। कृषि में होने वाली इस अपार वृद्धि को ही हरित क्रांति कहा गया। जे.जी. हारर के शब्दों में – ” हरित क्रान्ति शब्द 1968 से होने वाले उस आश्चर्यजनक परिवर्तन के लिए प्रयोग किया जाता है जो भारत के खाद्यान्नों के उत्पादन में हुआ था और अब भी जारी है।”
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भारत में हरित क्रांति के उद्देश्य
यहाँ हम आपको भारत में हरित क्रान्ति के उद्देश्यों के बारे में जानकारी देने जा रहें है। अगर आप भी हरित क्रान्ति के उद्देश्यों के बारे में जानना चाहते है तो आप नीचे दिए गए पॉइंट्स पढ़ सकते है। ये पॉइंट्स निम्न प्रकार है –
- अधिक उपज देने वाले बीज
- रासायनिक उर्वरको का प्रयोग करना
- यंत्र व उपकरण
- कृषि साख व्यवस्था करना
- मिश्रित खेती करना
- कृषि विपणन के दोषो का निकारण
- सिंचाई साधनो का विस्तार करना
हरित क्रांति की मुख्य विशेषताएं अथवा कारक
भारत में हरित क्रान्ति आने के कई मुख्य कारण है जिसके बारे में हम आपको हरित क्रांति की मुख्य विशेषताएं अथवा कारक के बारे में बताने जा रहें है। हरित क्रांति की मुख्य विशेषताएं अथवा कारक निम्न प्रकार है –
- कीटनाशक औषधियों का उपयोग – जैसा कि आप सभी जानते है उत्पादन में वृद्धि करने के लिए फसलों को बीमारियों और कीटनाशको से बचाना बहुत जरूरी है। जिसके लिए कीटनाशक औषधियों का उपयोग किया जाता है। हालांकि हरित क्रान्ति के अधीन इन औषधियों के प्रयोग को बढ़ाया गया है। भारत सरकार ने इसके लिए पौधे संरक्षण निदेशालय की स्थापना की है।
- उर्वरको का प्रयोग – जैसा कि आप सभी जानते है हमारे देश में गोबर को खाद के रूप में इस्तेमाल करने की परम्परा रही है। जानकारी के लिए बता दें भारत में हर साल लगभग 100 करोड़ टन गोबर प्राप्त होता है।
- बहु फसल – उन्नत बीज रासायनिक उर्वरक, सिंचाई, कृषि मशीनरी, आदि के प्रयोग से फैसले कम समय में तैयार होने लगी जिससे एक खेत में एक वर्ष में एक से अधिक फसलों की खेती करना संभव हो गया।
हरित क्रान्ति का अर्थव्यवस्था का प्रभाव एवं लाभ
हरित क्रान्ति से देश में खाद्यान उत्पादन तथा खाद्यान गहनता दोनों में तीव्र वृद्धि हुई और भारत अनाज उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर हो सका। वर्ष 1968 में गेहूँ का उत्पादन 170 लाख टन हो गया जो कि उस समय का रिकॉर्ड था तथा उसके बाद के वर्षो में यह उत्पादन लगातार बढ़ता गया। भारत में हरित क्रान्ति के मुख्य रूप से निम्न आर्थिक प्रभाव रहे है –
- कृषि उत्पादन में वृद्धि – जानकारी के लिए बता दें हरित क्रांति के फलस्वरूप कृषि उत्पादन में तेजी से वृद्धि हुई है। प्रमुख फसलों की प्रमुख प्रवृतियां निम्न प्रकार रही है –
- सभी फसलों में गेहूं के उत्पादन की सबसे अधिक वृद्धि हुई है। वर्ष 1965-1966 से 1996-1997 के दौरान गेहू के उत्पादन लगभग 6.7 गुना वृद्धि हुई है।
- व्यापारिक फसलों में गन्नो के उत्पादन में अभूतपूर्व वृद्धि हुई जबकि तिलहनों और कपास के उत्पादन में वृद्धि की दर धीमी रही।
- ग्रामीण विकास – हरित क्रांति के फलस्वरूप ग्रामीण समुदाय की आर्थिक स्थिति पहले से बेहतर हुई है। इसके अलावा सामंतवादी शक्तियों का ह्रास हुआ है और छोटे किसानो को भी उन्नत अनुदान सुलभ हुए है।
- औद्योगिक क्षेत्र पर निर्भरता – नई तकनीक में उद्योग निर्मित कृषि आदानों का भारी में प्रयोग किया जाता है। कीटाणुनाशक, उर्वरक, दवाइयां, यंत्र एवं उपकरण, मशीने परिवहन आदि के कारण कृषि का स्वावलबी स्वरुप नष्ट होता जा रहा है। और इसकी उधोगो की निर्भरता बढ़ती जा रही है।
- हरित क्रान्ति और रोजगार – नई तकनीक श्रम प्रधान है। अनेक कार्यक्रमों के लागू होने से कृषि व कृषि-पूरक उद्योगों के विस्तार से रोजगार सेवाओं का भी विस्तार होगा। किन्तु व्यहवार में नई तकनीक रोजगार परक सिद्ध नहीं हुई।
Green Revolution Explained in Hindi सम्बंधित प्रश्न और उनके उत्तर
हरित क्रान्ति की शुरुआत कब हुई ?
हरित क्रांति की शुरुआत सन 1966-1967 में हुई थी।
भारत में हरित क्रान्ति का उद्देश्य क्या है ?
भारत में हरित क्रान्ति का उद्देश्य कृषि की उत्पादन तकनीक को सुधारने एवं कृषि उत्पादन में वृद्धि करना है।
हरित क्रान्ति के जनक किसे कहा जाता है ?
हरित क्रान्ति के जनक एस.स्वामीनाथन को कहा जाता है।
जैसे कि इस लेख में हमने आपसे हरित क्रान्ति क्या है ? और इससे सम्बंधित जानकारी साझा की है। अगर आपको इन जानकारियों के अलावा कोई अन्य जानकारी चाहिए तो आप नीचे दिए गए कमेंट सेक्शन में जाकर मैसेज करके पूछ सकते है। आपके सभी प्रश्नो के उत्तर अवश्य दिए जाएंगे। आशा करते है द्वारा दी गई जानकारी से सहायता मिलेगी।