अनुच्छेद लेखन की परिभाषा, प्रारूप और उदाहरण | Anuchchhed Lekhan Definition, Topics, Tips and Examples

जानकारी के लिए बता दें अनुच्छेद लेखन को अंग्रेजी भाषा में पैराग्राफ राइटिंग कहा जाता है। लेकिन क्या आप जानते है आखिर अनुच्छेद-लेखन है क्या ? अगर आप नहीं जानते है तो आपको परेशान होने की आवश्यकता नहीं है।

क्योंकि यहाँ हम आपको बतायेंगे अनुच्छेद-लेखन की परिभाषा क्या है? अनुच्छेद-लेखन कितने प्रकार के होते हैं? अनुच्छेद लिखते समय किन जरूरी बातों को ध्यान में रखना चाहिए? अनुच्छेद-लेखन का प्रारूप क्या है? अनुच्छेद-लेखन के उदाहरण लिखिए। इन सभी के विषय में हम आपको विस्तारपूर्वक जानकारी देंगे।

अनुच्छेद-लेखन की परिभाषा, प्रारूप और उदाहरण | Anuchchhed Lekhan Definition, Topics, Tips and Examples
अनुच्छेद लेखन

अनुच्छेद-लेखन की परिभाषा

किसी एक भाव या विचार को व्यक्त करने के लिए लिखे गए सम्बद्ध तथा लघु वाक्य-समूह को “अनुच्छेद लेखन” कहते है। अन्य शब्दों में, किसी घटना, दृश्य एवं विषय को संक्षिप्त लेकिन सारगर्भित रूप से जिस लेखन शैली में प्रस्तुत किया जाता है , उसे “अनुच्छेद -लेखन” कहते है।

अनुच्छेद-लेखन के साथ साथ आप हमारे दूसरे आर्टिकल में फीचर लेखन की परिभाषा तथा हिंदी पत्र लेखन की परिभाषा को भी जान सकते हैं।

अनुच्छेद-लेखन के प्रकार

जानकारी के लिए बता दें यहाँ हम आपको अनुच्छेद-लेखन के प्रकार के बारे में बताने जा रहें है। जिसके बारे में आप नीचे दिए गए पॉइंट्स के माध्यम से जानकारी प्राप्त कर सकते है। अनुच्छेद लेखन के प्रकार निम्न प्रकार हैं –

  1. विचार प्रधान अनुच्छेद
  2. वर्णन प्रधान अनुच्छेद
  3. भाव प्रधान अनुच्छेद
  4. कल्पना आधारित अनुच्छेद

अनुच्छेद लेखन की शैलियां

भाषा तथा साहित्य को परस्पर जोड़ने वाली संकल्पना को शैली कहा जाता है। क्या आप हैं अनुच्छेद लेखन में किन शैलियों का प्रयोग किया जाता है। आप नीचे दिए गए पॉइंट्स के माध्यम से अनुच्छेद लेखन की शैलियों के बारे में जान सकते हैं। अनुच्छेद लेखन की शैलियां निम्न प्रकार हैं –

  • चित्र शैली
  • व्यास शैली
  • व्यंग्य शैली
  • समास शैली
  • तरंग शैली
  • भावात्मक शैली

अनुच्छेद लिखते समय ध्यान रखने योग्य बातें

क्या आप जानते हैं अनुच्छेद-लेखन से पूर्ण आपको किन जरूरी बातों को ध्यान में रखना चाहिए जिससे आप एक अच्छा अनुच्छेद लिख सकते हैं? यहाँ पर हम आपको अनुच्छेद लिखते समय ध्यान रखने योग्य बातें कुछ पॉइंट्स के माध्यम से बताने जा रहें है। इन पॉइंट्स के माध्यम से आप इन जरूरी बातों के विषय में जानकारी प्राप्त कर सकते है। ये पॉइंट्स निम्न प्रकार है –

  • अनुच्छेद अधिक से अधिक 100 शब्दों का होना चाहिए।
  • वाक्य छोटे-छोटे और एक-दूसरे से जुड़े होने चाहिए।
  • भाषा सरल होने के साथ-साथ स्पष्ट और प्रभावशाली होनी चाहिए।
  • अगर अनुच्छेद के प्रारम्भ में अनुच्छेद से सम्बंधित सूक्ति, उदाहरण या कविता की पंक्ति लिख दें तो अनुच्छेद प्रभावशाली बन जाता है।
  • अनुच्छेद लिखने से पहले रूपरेखा, संकेत-बिंदु आदि बनाने चाहिए।
  • ध्यान रखें एक ही बात को बार-बार न दोराहा जाएँ।
  • अनुच्छेद में भूमिका तथा उपसंहार की आवश्यकता नहीं होती।
  • आपको अनावश्यक विस्तार से बचना चाहिए।
  • अनुच्छेद में विषय के किसी एक ही पक्ष का वर्णन करें।
  • शब्द-सीमा को ध्यान में रखकर ही अनुच्छेद लिखे।

अनुच्छेद की प्रमुख विशेषताएं

उम्मीदवार ध्यान दें अब हम आपको अनुच्छेद की प्रमुख विशेषताएं क्या हैं ? इसके बारे में सूचित करने जा रहें हैं। अगर आप भी अनुच्छेद की प्रमुख विशेषताओं के विषय में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो आप नीचे दिए गए पॉइंट्स को ध्यानपूर्वक पढ़ें। ये पॉइंट्स निम्न प्रकार हैं –

  • अनुच्छेद एक स्वतंत्र और पूर्ण रचना हैं, जिसका कोई भी वाक्य अनावश्यक नहीं होता है।
  • इसके सभी वाक्य एक-दूसरे से गठित होते हैं और एक-दूसरे से जुड़ें होते हैं।
  • अनुच्छेद के वाक्य-समूह में उद्देश्य की एकता रहती हैं। केवल बहुत अधिक महत्वपूर्ण बातों को ही अनुच्छेद में रखा जाता हैं।
  • उच्च कोटि के अनुच्छेद लेखन में विचारों को इस क्रम में रखा जाता है कि उनका आरम्भ, मध्य और अंत आसानी से व्यक्त हो जाता है।
  • अनुच्छेद सामान्यतः छोटा होता हैं, किन्तु इसकी लघुता या विस्तार विषयवस्तु पर निर्भर करता हैं।
  • इसमें किसी एक भाव या विचार को एक बार में और एक ही स्थान पर व्यक्त किया जाता है।

अनुच्छेद-लेखन के उदाहरण

उम्मीदवार ध्यान दें यहाँ हम आपको अनुच्छेद लेखन के कुछ उदाहरण दे रहें हैं जिनके माध्यम से आप अनुच्छेद लेखन के बारे में समझ सकते हैं। अनुच्छेद लेखन सम्बंधित उदाहरण निम्न प्रकार हैं –

1. शिक्षा का उद्देश्य

  • मुख्य बिंदु
    • शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य -ज्ञान
    • शिक्षा के अन्य उद्देश्य
    • सांस्कृतिक उद्देश्य
    • सामाजिक उद्देश्य

शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य ज्ञान प्रदान करना है। ज्ञान ही मानव को शक्ति और आनंद प्रदान करता है। चरित्र निर्माण ज्ञान द्वारा ही संभव है।

शिक्षा का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य ज्ञान माना गया है, किन्तु यह उस समय दोषपूर्ण हो जाता है जब इसे शिक्षा का एक मात्र उद्देश्य समझ लिया जाता है।

इसका सांस्कृतिक उद्देश्य है, एक जाति की संस्कृति को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुँचाने में सहायता प्रदान करना। जिससे वर्तमान पीढ़ी सभ्य हो जाये।

शिक्षा का एक सामाजिक उद्देश्य भी है कि ऐसे नागरिक तैयार होने चाहिए जो समाज कल्याण एवं राष्ट्र कल्याण के लिए अपना सर्वस्व बलिदान करने को तैयार रहे। इस प्रकार हम देखते है कि शिक्षा के अनेक उद्देश्य है।

किसी एक उद्देश्य को शिक्षा का एक मात्र उद्देश्य मानना उचित नहीं है। अंत में हम कह सकते है कि शिक्षा का उद्देश्य एक संतुलित एवं सम्यक व्यक्तित्व का विकास करना है।

2 . मीठी बोली के महत्व पर 100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

वाणी ही मनुष्य को प्रिय व अप्रिय बनाती है। यदि मनुष्य बोले, तो वह सबका प्यारा बन जाता है और उसमे अनेक गुण होते हुए भी यदि उसकी बोली मीठी नहीं है, तो उसे कोई पसंद नहीं करता।

इस तथ्य को कोयल और कौए के उदाहरण द्वारा सबसे अच्छी तरह से समझा जा सकता है। देखने में दोनों समान होते हैं, परन्तु कौए की कर्कश आवाज और कोयल की मधुर वाणी दोनों की पहचान को अलग बनाती है। इसलिए कोयल सबको प्रिय और कौआ सबको अप्रिय लगता है।

“कौए की कर्कश आवाज और कोयल की मधुर वाणी सुन।
सभी जान जाते, दोनों गुण।।”

मनुष्य अपनी मधुर वाणी से शत्रु को भी अपना बना सकता है। ऐसा में बहुत आदर पाता है। विद्वानों व कवियों ने भी मधुर वचन को औषधि के समान कहा है। मधुर वाणी बोलने वाले और सुनने वाले दोनों के मन को शान्ति मिलती है।

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इससे समाज में प्रेम व भाईचारे का वातावरण बनता है। अतः सभी को मीठी बोली बोलनी चाहिए तथा अहंकार व क्रोध का त्याग करना चाहिए।

3. मेरा भारत महान

कश्मीर से कन्याकुमारी तक और गुरात से अरुणाचल प्रदेश तक फैला मेरा देश विश्व का सातवां सबसे बड़ा देश है। उत्तर में पर्वत राज हिमालय के उन्नत भाल पर मुकुट के समान सुशोभित है।

दक्षिण में हिन्द महासागर इसके चरणों को धोकर धन्य हो रहा है। गंगा जैसी पावन सलिला इसी धरती पर प्रवाहित हो रही है। ऐसी ही अनेक नदियां इस धरती को सींचकर हरा-भरा बनाती हैं।

मेरे देश की भौगोलिक विशेषताएं इसे और भी विशिष्ट बना देती हैं। यहाँ कहीं पहाड़ है तो कहीं बन, कहीं विस्तृत मरुस्थल है तो कहीं समतल उपजाऊ मैदान। मेरे देश में उनत्तीस राज्य और छः केंद्र शासित प्रदेश हैं।

अलग-अलग प्रदेश में अलग-अलग भाषाएँ बोली जाती हैं। एक अरब से भी अधिक आबादी वाला देश सत्य, अहिंसा, प्रेम, सौहार्द एवं सहिष्णुता आदर्शों का पालन करने वाला है। आओ, हम सब मिलकर इस धरती को, अपनी जननी को नमन करें।

4. पर्यावरण और हम

रूपरेखा – पर्यावरण क्या है, पर्यावरणीय असंतुलन का कारण, पर्यावरण की सुरक्षा।

परि + आवरण + पर्यावरण, यानि हमारे चारों ओर के वे सभी जैविक और अजैविक तत्व जिनसे मिलकर यह धरती बनी है। जैसे- जीव-जंतु, पेड़-पौधे, कीड़े, परिंदे, पशु-पक्षी, पर्वत आदि।

ये सब हमारे पर्यावरण में अपनी-अपनी महत्वूर्ण भूमिका निभाते हैं और ये इंसान को अनेक चीजे निरंतर, बिना किसी स्वार्थ के प्रदान करते हैं।

बदले में हमने अपने क्रियाकलापों से अपने पर्यावरण को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से भारी नुकसान पहुँचाया है जिससे पर्यावरणीय असंतुलन का खतरा पैदा हो गया है। पर्यावरण को सबसे बड़ा खतरा इंसान से ही है।

क्योंकि विकास की अंधी दौड़, रोज-रोज बनते कंक्रीट के जंगल (मकान, नवनिर्मित शहर), अंधाधुन पेड़ो की कटाई, कम -खतियान, बढ़ता प्रदूषण, उद्योग धंधे, कल-कारखानों व फैक्टरियों से निकलता जहरीला धुंआ, प्लास्टिक व उससे बने हुए सामान आदि पर्यावरण के लिए खतरनाक हैं।

पर्यावरणीय असंतुलन की वजह से आज हमे अनेक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ऋतु चक्र में आये परिवर्तन तथा अनेक असाध्य रोगो का जन्म और न जाने कितनी ही समस्याओं पर्यावरणीय असंतुलन का ही नतीजा है।

पर्यावरण की सुरक्षा हमारी अपनी सुरक्षा है। इसीलिए अंधाधुन पेड़ों की कटाई करने से बचना होगा, नए पौधों को रोपित कर उनकी देखभाल करनी होगी। प्लास्टिक से बनी चीजों का उपयोग कम से कम करना होगा।

रासायनिक खादों का प्रयोग कम करना व विलुप्त होते पेड़-पौधों, जीव-जंतु, कीट-पतंगों व परिंदो की प्रजातियों को संरक्षित करना होगा। तभी पर्यावरण सुरक्षित रह सकता है।

5. भारतीय साहित्य और संस्कृति

साहित्य और संस्कृति का एक दूसरे से गहरा सम्बन्ध होता है। यह दोनों एक दूसरे के पूरक होते हैं। किसी भी देश अथवा जाति की सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक व राजनितिक परिस्थितयो एवं रीति-रिवाजों का उल्लेख तत्कालीन साहित्य में किया जाता है।

अतः साहित्य से ही किसी देश अथवा जाति की संस्कृति का पूरा ज्ञान संभव है। संस्कृति की रक्षा भी साहित्य के द्वारा होती है।

दूसरे शब्दों में संस्कृति को भावी पीढ़ियों तक पहुँचाने, उसे मूर्त रूप देने या जीवित रखने का काम साहित्य का ही है। भारतीय साहित्य में प्राचीन भारतीय संस्कृति का उल्लेख मिलता है।

तभी आज हम भारतीय संस्कृति के बारे में जानते हैं। भारत विविधताओं का देश है। यहाँ विभिन्न धर्मों, जातियों और भाषाओं में एकता और सामंजस्य होता है।

क्या आप संवाद लेखन के बारे में भी जानते हैं अगर नहीं तो आपको हमारे द्वारा संवाद लेखन के आर्टिकल को पढ़ना चाहिए इससे आपके सभी प्रश्न हल हो जाएंगे।

अनुच्छेद लेखन सम्बंधित प्रश्न और उनके उत्तर

अनुच्छेद लेखन को अंग्रेजी में क्या कहते हैं ?

अनुच्छेद-लेखन को अंग्रेजी में पैराग्राफ-राइटिंग कहते हैं।

अनुच्छेद-लेखन कितने प्रकार के होते है ?

जानकारी के लिए बता दें अनुच्छेद लेखन चार प्रकार के होते हैं –
भाव प्रधान अनुच्छेद
विचार प्रधान अनुच्छेद
वर्णन प्रधान अनुच्छेद
कल्पना आधारित अनुच्छेद

अनुच्छेद लेखन की शैलियां कितने प्रकार की होती हैं ?

अनुच्छेद लेखन की शैलियां कई प्रकार की होती है। अनुच्छेद-लेखन की शैलियां निम्न प्रकार है –
चित्र शैली
व्यास शैली
तरंग शैली
व्यंग्य शैली
समास शैली
भावात्मक शैली

इस लेख में हमने आपसे अनुच्छेद लेखन की परिभाषा, प्रारूप और उदाहरण से सम्बंधित समस्त जानकारी साझा की है। अगर आपको इन जानकारियों के अलावा कोई अन्य जानकारी चाहिए तो आप नीचे दिए गए कमेंट सेक्शन में मैसेज करके पूछ सकते हैं। आपके सभी प्रश्नों के उत्तर अवश्य दिए जाएंगे। आशा करते हैं आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारियों से सहायता मिलेगी।

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