आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको 16 महाजनपदों का इतिहास के बारे में जानकारी देने जा रहें है। जानकारी के लिए बता दें प्राचीन काल में हमारा देश 16 छोटे बड़े महाजनपदों में बंटा हुआ था। जिसके बारे में आज हम आपको परिचित कराने जा रहें है। यहाँ हम आपको बतायेंगे महादनपद क्या थे ? महाजनपद कितने प्रकार के होते है ? 16 महाजनपदों की सूची क्या है ? 16 महाजनपदों का इतिहास क्या है ? इन सभी के विषय में हम आपको विस्तारपूर्वक जानकारी देंगे। 16 Mahajanapadas History In Hindi सम्बन्धित अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए इस लेख को ध्यानपूर्वक अंत तक पढ़िए –

महादनपद क्या थे ? 16 महाजनपदों का इतिहास
16 महाजनपदों का इतिहास लगभग 600 ई० पू० के आस पास महाजनपदों का उदय हुआ था और इसकी जानकारी बौद्ध ग्रन्थ अंगुत्तर निकाय, महावस्तु और जैन ग्रंथ भगवती सूत्र में प्रदान की गई है तथा इनकी संख्या उस समय 16 थी। हालांकि प्राचीन भारत में राज्य या प्रशासनिक इकाइयों को महाजनपद कहा जाता था। वे गणतंत्र या राजतंत्र के रूप में शासित थे। जानकारी के लिए बता दें उत्तर वैदिक काल में कुछ जनपदों का उल्लेख मिलता है।
16 Mahajanapadas History 2023 Highlights
उम्मीदवार ध्यान दें यहाँ हम आपको 16 महाजनपदों का इतिहास के बारे में कुछ विशेष जानकारी देने जा रहें है। इन जानकारियों को आप नीचे दी गई सारणी के माध्यम से प्राप्त कर सकते है। ये सारणी निम्न प्रकार है –
आर्टिकल का नाम | 16 महाजनपदों का इतिहास |
साल | 2023 |
महाजनपद | 16 |
भाषा | संस्कृत और प्राकृत |
धर्म | हिन्दू धर्म जैन धर्म बौद्ध धर्म |
केटेगरी | इतिहास |
ऐतिहासिक युग | लौह युग |
युग की अवधि | 300 ईसा पूर्व से 600 ईसा पूर्व तक |
महाजनपद के प्रकार
जानकारी के लिए बता दें कार्यो के आधार पर महाजनपदों को दो भागो में वृगीकृत किया गया है। यहाँ हम आपको माहजनपद के प्रकार (Types of Mahajanpadas) के बारे में बताने जा रहें है। महाजनपद के प्रकार निम्न प्रकार है। जानिए क्या है पूरी जानकारी –
- राजशाही या राजतंत्र महाजनपद (Monarchical Mahajanapadas)
- गणतंत्र महाजनपद (Republican Mahajanapadas)
16 महाजनपदों की सूची 2023
उम्मीदवार ध्यान दें यहाँ हम आपको 16 महाजनपदों की सूची उपलब्ध कराने जा रहें है। इस सूची में आप 16 Mahajanapadas History In Hindi नीचे दी गई सारणी के माध्यम से बताने जा रहें है। 16 महाजनपदों की सूची 2023 निम्न प्रकार है -.
क्रम संख्या | आधुनिक शहर | महाजनपद का नाम | महाजनपद की राजधानी |
1 | देवरिया और उत्तर प्रदेश | मल्ल | कुशीनारा |
2 | बिहार | वज्जि | वैशाली |
3 | पूर्वी उत्तर प्रदेश | कोशल | श्रावस्ती |
4 | गया और पटना | मगध | राजगृह या गिरिव्रज |
5 | प्रयागराज ( पहले – इलाहाबाद ) | वत्स | कौशाम्बी |
6 | बुन्देलखंड | चेदि | सोथिवती या बांदा |
7 | मेरठ और दक्षिण पूर्व हरियाणा | कुरु | इंद्रप्रस्थ |
8 | जयपुर (राजस्थान) | मत्स्य | विराटनगर |
9 | पश्चिमी उत्तर प्रदेश | पांचाल | अहिच्छत्र और काम्पिल्य |
10 | मथुरा | सूरसेन या शूरसेन | मथुरा |
11 | मुंगेर और भागलपुर | अंग | चम्पा |
12 | मालवा और मध्य प्रदेश | अवन्ति | महिषामति और उज्जैन |
13 | रावल पिंडी | गांधार | तक्षशिला |
14 | बनारस | काशी | वाराणसी |
15 | राजौरी और हजराओ | कम्बोज | पूंछ |
16 | गोदावरी नदी का किनारा | अश्मक या अस्सक | पैठण |
16 Mahajanapadas History In Hindi
16 महाजनपदों का इतिहास जानकारी के लिए बता दें छठी ई० पू० के प्रारम्भ में उत्तर भारत में सार्वभौम सत्ता का पूर्णता आभाव था। यहाँ तक की सम्पूर्ण देश अनेक स्वतंत्र राज्यों में विभाजित था। ये राज्य यद्यपि उत्तर वैदिक काल की अपेक्षा अधिक विस्तृत तथा शक्तिशाली थे लेकिन फिर भी इनमे से कोई भी देश को राजनैतिक एकता के सूत्र में संगठित करने में समर्थ नहीं था। इस काल की राजनैतिक स्थिति का प्रमाणिक विवरण यद्यपि हमे किसी भी साहित्यिक साक्ष्य से उपलब्ध नहीं होता है तथापि बौद्ध ग्रन्थ अंगुत्तरनिकाय से ज्ञात होता है कि महात्मा गौतम बुद्ध के उदय के कुछ पूर्व समस्त उत्तरी भारत 16 बड़े राज्यों में विभाजित था। इन्हें ही सोलह महाजनपद कहा गया है।
काशी महाजनपद (Kashi Mahajanapad)
जानकारी के लिए बता दें काशी 16 एक महाजनपदों में से एक है। काशी महाजनपद की राजधानी वाराणसी में थी और जैन धर्म के 23वे तीर्थकर पार्शवनाथ यही के रहने वाले थे।
मल्ल महाजनपद
यह महाजनपद आधुनिक उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के क्षेत्र में बसा हुआ था। मल्ल राज्य एक संघ राज्य था और इसकी दो शाखाएं थी। एक शाखा की राजधानी कुशीनगर में थी और यहीं पर भगवान बुध को निर्वाण प्राप्त हुआ था। मल्लो की दूसरी राजधानी पावा में थी और यहीं पर महावीर स्वामी की मृत्यु हुई थी।
पांचाल महाजनपद
पांचाल महाजनपद वर्तमान उत्तर प्रदेश के बदायूँ , बरेली और फर्रुखाबाद जिले में बसा हुआ था और यह दो भागो में विभाजित था। उत्तरी तथा दक्षिणी। उत्तरी पांचाल की राजधानी अहिछत्र में और दक्षिणी पांचाल की राजधानी काम्पिल्य (फर्रुखाबाद के कैम्पिल) में स्थित थी।
वज्जि महाजनपद
जानकारी के लिए बता दें वज्जि महाजनपद आधुनिक उत्तरी विहार के हिस्से में बसा हुआ था और इसकी राजधानी तीन क्षेत्रों में विभाजित थी। यह महाजनपद 8 गणराज्यो का संघ था जिसमें लिच्छवी, विदेह और ज्ञात्रिक कुल महत्वपूर्ण थे। लिच्छवी कुल की राजधानी वैशाली में थी। विदेह कुल की राजधानी मिथिला में थी और ज्ञात्रिक कुल की राजधानी कुंडग्राम में थी। साथ ही जानकारी के लिए बता दें इसी कुल के महावीर स्वामी भी थे।
मगध महाजनपद
समस्त महाजनपदों में मगध सबसे शक्तिशाली महाजनपद था और इसकी राजधानी गिरिव्रज या राजगृह में थी। मगध आधुनिक बिहार के पटना, बोधगया और शाहाबाद के हिस्से में बसा हुआ था।
अंग महाजनपद
जानकारी के लिए बता दें 16 महाजनपदों में से एक महाजनपद अंग महाजनपद भी था। इसकी राजधानी चम्पा में थी। अंग आधुनिक विहार के भागलपुर तथा मुंगेर के हिस्से में बसा हुआ था।

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चेटि या चेदि महाजनपद
चेटि या चेदि महाजनपद में आधुनिक बुंदेलखंड का क्षेत्र आता है और इसकी राजधान शक्तिमती (सोत्थिवति) में थी।
कोशल महाजनपद
यह महाजनपद आधुनिक अवध राज्य में बसा हुआ था और इसकी राजधानी आधुनिक उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती में थी। शाक्यो का गणराज्य इसी के अंतर्गत आता था। जानकारी के लिए बता दें इतिहासकारो के अनुसार कोशल की कई राजधानी बनाई गई है।
वत्स या वच्छ महाजनपद
वत्स महाजनपद आधुनिक प्रयागराज (इलाहबाद) के आस-पास बड़ा हुआ था और इसकी राजधानी कौशाम्बी (आधुनिक कौसम गाँव) में थी और महाजनपद काल में यह व्यापारिक केंद्र था।
कुरु महाजनपद
जानकारी के लिए बता दें कुरु महाजनपद आधुनिक दिल्ली और मेरठ के आस-पास बसा हुआ था और इसकी राजधानी इन्द्र प्रस्थ में थी।
शूरसेन महाजनपद
वर्तमान उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले का क्षेत्र इस महाजनपद के अंतर्गत आता था ओस इसकी राजधानी मथुरा में थी।
अवन्ति महाजनपद
यह महाजनपद आधुनिक मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के कुछ भागो में बसा हुआ था और इसकी दो राजधानियां थी – उत्तर अवन्ति और दक्षिणी अवन्ति। उत्तरी अवन्ति की राजधानी उज्जैन में थी और दक्षिणी अवन्ति की राजधानी माहिष्मति (मध्य प्रदेश) में थी।
अश्मक महाजनपद
यह महाजनपद आधुनिक आंध्र प्रदेश में गोदावरी नदी के तट पर बसा हुआ था और इसकी राजधानी पोतना या पोटिल में थी। इस महाजनपद पूरा दक्षिण भारत आता था।
मत्स्य महाजनपद
यह महाजनपद वर्तमान समय में राजस्थान के जयपुर जिले के आस-पास बसा हुआ था और इसकी राजधानी विराट नगर (आधुनिक अलवर और भरतपुर के आस-पास) में थी।
कम्बोज महाजनपद
कम्बोज महाजनपद गांधार महाजनपद का पड़ोसी राज्य था और इसकी राजधानी राजौरी या हजारा में थी। यह महाजनपद विशेषतौर पर घोसो के व्यापार के लिए प्रसिद्ध था।
गांधार महाजनपद
गांधार महाजनपद आधुनिक पाकिस्तान के पेशावर पर रावलपिंडी क्षेत्र में स्थित था। इसी राजधानी तक्षशिला में थी। तक्षशिला विद्या और व्यापार का प्रसिद्ध नगर था और यहाँ पर देश/विदेश से छात्र पढ़ने आते थे।
इन सभी महाजनपदों में मगध महाजनपद बहुत ही शक्तिशाली था। मगध पर हर्षक वंश का उदय हुआ जिसके संस्थापक सम्राट बिम्बिसार हुए जो भगवान् बुद्ध के समकालीन थे।
16 Mahajanapadas History In Hindi 2023 सम्बंधित प्रश्न और उत्तर
वैशाली किस महाजनपद की राजधानी है ?
वैशाली वज्जि महाजनपद की राजधानी है।
वाराणसी किस महाजनपद की राजधानी है ?
वाराणसी काशी महाजनपद की राजधानी है।
महाजनपद की अवधि कब से कब तक मानी जाती है ? बताइये।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि महाजनपद की अवधि (600 ई.पू. से 325 ई.पू) तक मानी जाती है।
16 महाजनपदों के विषय में किस बौद्ध धरम ग्रन्थ से जानकारी प्राप्त होती है?
अंगुत्तरनिकाय नामक बौद्ध धर्म ग्रन्थ से 16 महाजनपदों के विषय में जानकारी प्राप्त होती है।
काशी महाजनपद का वह राजा कौन था जिसका पुत्र जैन तीर्थकर हुआ है ?
काशी महाजनपद के राजा अश्वसेन के पुत्र जैन धर्म के 23 वे तीर्थकर पार्शवनाथ हुए है।
जैसे की इस लेख में हमने आपको 16 महाजनपदों का इतिहास और इससे जुडी समस्त जानकारी प्रदान की है। अगर आपको इन जानकारियों के अलावा कोई अन्य जानकारी चाहिए तो आप नीचे दिए गए कमेंट सेक्शन में जाकर मैसेज करके पूछ सकते है। हमारी टीम द्वारा आपके सभी प्रश्नो के उत्तर अवश्य दिए जाएंगे। आशा करते है आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारी से सहायता मिलेगी।